बिहार के पश्चिम चम्पारण के बेतिया के पास रामपुरवा गाँव में जन्मे विशाल आदित्य का नाम आज बिहार में रसायन शास्त्र यानी कमेस्ट्री के प्रसिद्ध शिक्षकों में शुमार है! 1999 में महज़ पंद्रह सौ रुपए लेकर गाँव से पटना पहुंचे विशाल आदित्य ने सात सौ रुपए प्रतिमाह पर किराए का घर लिया और अपनी एम.एस.सी की पढ़ाई के साथ साथ कोटा से वापस लौट चुके छात्रों को घर घर जाकर पढ़ाना शुरू किया!
खराब आर्थिक हालात के बीच विशाल ने ग्रुप में बच्चों को पढ़ाने का फैसला लिया और बाज़ार से कुछ क़र्ज़ लेकर 31 जुलाई 2009 को पटना के कंकड़बाग इलाके से सम्पूर्ण केमिस्ट्री नामक अपने निजी कोचिंग की शुरुआत की! केवल 3 छात्रों के साथ शुरू हुई सम्पूर्ण कमेस्ट्री ने जल्द ही छात्रों का ध्यान अपनी ओर खींचा और कुछ ही वक़्त बाद विशाल आदित्य का नाम छात्रों की जुबान पर था! शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृस्ट योगदान को ध्यान में रखकर गायत्री परिवार की तरफ से 2015 में विशाल आदित्य को सम्मानित किया गया इसके अलावा साल 2016 में निर्धन छात्रों को शिक्षित करने एवं रसायन शास्त्र के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भी इन्हे सम्मानित किया जा चुका है!
परिवार के सदस्य बताते हैं की साल 2016 को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय चौधरी द्धारा कमेस्ट्री के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान लिए भी विशाल को सम्मानित किया जा चुका है! शिक्षा जगत में आदित्य की लोकप्रियता को देखते हुए इंडिया टुडे के जनवरी 2018 के अंक में न केवल इनकी कहानी को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया बल्कि इसी साल दैनिक भास्कर द्धारा पटना में आयोजित “शिक्षा सम्मान समारोह” में केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के हाथों भी विशाल आदित्य को “गुरु शिक्षा सम्मान” से नवाज़ा गया है!