Login

Lost your password?
Don't have an account? Sign Up

पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष डॉ.विजय प्रकाश सिंह बिहार की चिकित्सा जगत का एक जाना माना नाम है! 1971 में रांची विश्वविधालय द्धारा आयोजित आई.एस.सी की परीक्षा में टॉपर रहे विजय प्रकाश ने साल 1978 में बेस्ट ग्रेजुएट के खिताब के साथ पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से एम.बी.बी.एस की डिग्री हासिल की और साल 1983 में पी.जी.आई चंडीगढ़ से मेडिसिन में एम.डी किया और अपने विषय में टॉपर रहने के कारण कॉलेज प्रशासन द्धारा इन्हे रजत मैडल देकर सम्मानित भी किया गया! एक मेघावी छात्र के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ.विजय प्रकाश सिंह ने 1984 में राष्ट्रीय बोर्ड परीक्षा द्धारा एन.बी.ई में डिप्लोमा हासिल किया और उच्च शिक्षा हासिल करने के इरादे से लन्दन स्थित रॉयल कॉलेज ऑफ़ फिजिशियंस पहुंचे और इसी कॉलेज से साल 1988 में महज साढ़े चार महीने की अल्प अवधि में एम.आर.सी.पी की उपाधि हासिल की और परिवार के साथ प्रदेश का मान भी बढ़ाया!

जानकार बताते है की पी.एम.सी.एच में पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक के तौर पर 21 वर्षों तक अपनी सेवा देने वाले डॉ.विजय प्रकाश के 20 से अधिक रिसर्च पेपर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके है साथ ही 40 से अधिक रिसर्च कार्यों को इन्होने दिशा प्रदान की है! चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ.विजय प्रकाश के उत्कृस्ट कार्यों को ध्यान में रखकर साल 2003 में इन्हे भारत के तत्कालीन  महामहिम राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम के हाथों पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया! डॉ.विजय प्रकाश कहते है की अपने लम्बे चिकित्सीय जीवन में मैंने यह पाया है की बेहतर,व्यवस्थित और आधुनिक चिकित्सा के आभाव में बिहार-झारखंड और अन्य राज्यों के मरीज़ बड़ी संख्या में दिल्ली,मुंबई और अन्य राज्यों का रुख करते है

ऐसे में इस प्रदेश को एक अच्छे निजी अस्पताल की जरुरत लम्बे अरसे से रही है ताकि मरीज़ों का इलाज कम खर्चे में हो और पलायन भी रोका जा सके! अपनी इसी सोच के मद्देनज़र डॉ.विजय प्रकाश द्धारा पटना के अगमकुआं इलाके में बिग हॉस्पिटल के नाम से एक मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की शुरुआत गयी है जिसके इसी साल अप्रैल में शुरू होने के आसार है! चिकित्सा के जानकारों का कहना है की डॉ.विजय द्धारा संचालित इस दस मंजिले अत्याधुनिक अस्पताल की शुरुआत होने के बाद अब मरीज़ों को राज्य से बाहर स्थित अस्पतालों में जाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी