छात्रों द्धारा शिक्षकों को दिए जाने वाले आदर और सम्मान को देखते हुए डॉ.रविशंकर सिंह उर्फ़ बच्चन सिंह ने छात्र जीवन में ही शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का फैसला ले लिया था! रविशंकर कहते हैं की पूर्व में विश्वविधालयों में जितनी नियुक्तियां हुआ करती थी वो राज्य सरकार या कुलपति द्धारा गठित कमिटी द्धारा जाती थी लेकिन जब मेरा छात्र जीवन समाप्त हुआ उस दौरान यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन बहाल हुई और इस कमीशन को छात्रों के दाखिले का अधिकार मिला!
दो बार हुए इंटरव्यू में भी मेरा चयन न हो सका लेकिन शिक्षा के प्रति मेरे गहरे लगाव के कारण साल 1989 में मैंने बॉटनी के प्राख्यात शिक्षक डॉ.(प्रो) अशोक कुमार सिन्हा (अब दिवंगत) के माध्यम से कोचिंग जगत में कदम रखा और छात्रों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई! 90 के दशक में पटना के कंकड़बाग इलाके से बच्चन ने गाइडेंस नाम से एक निजी कोचिंग की शुरुआत की और आगे आने वाले वक़्त में इन्हे वो सभी कुछ मिला जिन्हे रुपयों से खरीदा जा सकता है और वो भी मिला जिन्हे पैसों से कभी ख़रीदा नहीं जा सकता! इस दौरान यूनिवर्सिटी कमिशन द्धारा हुए एक इंटरव्यू में बच्चन को अविभाजित बिहार (अब झारखंड) से नौकरी का ऑफर मिला लेकिन रविशंकर ने इस नौकरी का परित्याग कर दिया!
बिहार की शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान बना चुके डॉ.रविशंकर ने साल 2012 में पटना के निसरपुरा में गाइडेंस इंटर कॉलेज की स्थापना की और 2014 में गाइडेंस नर्सिंग एंड एलाइड साईंसेस के अलावा दीक्षा पारामेडिकल की भी शुरुआत की! आज बच्चन द्धारा स्थापित इन संस्थानों में करीब 1500 छात्र-छात्राओं के अलावा 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं! 24 जनवरी 2018 को प्रकाशित इंडिया टुडे के अंक में डॉ.रविशंकर के सफलता की कहानी को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया जा चुका है!