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बिहार की चिकित्सा जगत में रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल एक स्थापित नाम है | विगत कुछ वर्षों के दौरान इस अस्पताल ने अपनी बेहतर चिकित्सा और प्रबंधन की बदौलत जो ख्याति अर्जित की है वो बेमिसाल है | रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक और बिहार के जाने माने मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सत्यजीत सिंह कहते हैं की करीब 17 सालों तक मैंने इंग्लैंड में रहकर पढ़ाई और नौकरी की लेकिन वतन वापसी का ख्याल कभी मुझसे अलग नहीं हुआ | 1995 -96 के मध्य मेरा इंग्लैंड और पटना आना जाना होता रहा और यूरोलॉजी की नई और एडवांस लिथोट्रिस्पी तकनीक के साथ मैंने काम का फैसला लिया और ज़र्मनी पहुंचा |

इंग्लैंड से 1996 को मैं वापस लौटा और इसी साल अक्टूबर माह में पटना के कंकड़बाग में रतन स्टोन क्लिनिक के नाम से अपनी निजी क्लिनिक की शुरुआत की और करीब साढ़े तीन सालों तक कंसलटेंट यूरोलॉजिस्ट के तौर पर अपनी सेवाएं दी | मई 2000 में नेफ्रोलॉजी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को ध्यान में रखकर मैंने पटना के गाँधी मैदान के नज़दीक 22 बेड के अत्याधुनिक सुपर स्पेशलिटी रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल की शुरुआत की और पूर्व से संचालित रतन स्टोन क्लिनिक को इस अस्पताल में शामिल कर लिया | डॉ. सत्यजीत आगे कहते हैं की अपने लम्बे चिकित्सीय जीवन में मैंने कई बार यह महसूस किया की पटना को एक अत्याधुनिक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की जरुरत है जिसके आभाव में मरीज़ दूसरे प्रदेशों का रुख करते हैं , इस बात को ध्यान में रखकर साल 2014 में मैंने पटना के पाटलिपुत्रा कॉलोनी में रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल के नाम से 200 बेड के अत्याधुनिक अस्पताल की शुरुआत की और आगे आने वाले कुछ ही सालों में इस अस्पताल को एनएबीएच ने मान्यता भी प्रदान कर दी |

डॉ. सत्यजीत सिंह के 25 सालों के इस शानदार सफर में रूबन ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स आज जिस मुकाम पर खड़ा है, निःसंदेह वो डॉ. सिंह के विज़न और बुलंद हौसले को दर्शाता है | 1600 कर्मचारियों और 166 डॉक्टर्स की टीम के साथ सफलतापूर्वक संचालित यह अस्पताल न केवल करोड़ों मरीज़ों की आस है बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार में डॉ. सत्यजीत सिंह की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता |