Page 96 - CTB Hi resolution visioneries of bihar pdf
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                                                                                    आउर्लुक ग्प के कंसस्र्ंग एसोवसएर् एवडर्र वदनेश आनंद के सा् ववशर्
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 20 वदसंबर 1931 को वबहार के मंगेर के इंदरुख गांव में जनम रामजी वसंह न  े  और पूरी दवनया से आए हजारों शसखसयों की मौजूदगी में मंच साझा वकया।
 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सवरिय रूप से वहससा वलया। ऐसे में लंबे अरस  े          बातचीत में डॉ. नीलम कहती हैं वक प्ो. रामजी वसंह का जीवन देश के उन करोड़ों
                                                                                                            ू
 तक इनकी पढ़ाई बावित रही और इनहीं हालातों के बीच रामजी वसंह ने 1953 में   राजनीवत के कई पुराने वदगगज बताते हैं वक डॉ. रामजी वसंह राष्ट्कवव रामिारी   युवाओं के वलए एक संदेश है वक म्यों के प्वत समप्चण भावना, वज़द और जुनून
                                                                                                                             े
 पर्ना ववश्वववद्ालय से वफलॉसफी में एमए वकया और आगे आने वाले कुछ सालों   वसंह "वदनकर" और जय प्काश नारायण के बेहद करीबी लोगों में शुमार ्े और   के दम पर संसार में कुछ भी हावसल वकया जा सकता है लवकन इन सभी के सा्
                                                                                    सकारातमक सोच और ववज़न का होना भी बेहद जरूरी है।
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 में प्ाचीन वहंदू, जैन िम्च और गावियन ्ॉर् में डीवलट् करने के सा् वववभन्न   1966-67 में जय प्काश नारायण द्ारा शुरू वबहार ररलीफ कवमर्ी से जुड़कर डॉ.
 कॉलेज और ववश्वववद्ालयों में छात्रों को पढ़ाते भी रहे। वशक्ा जगत के जानकारों   वसंह ने जो काम वकए उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसके अलावा वबहार के   डॉ. रामजी वसंह अपने ववर्य के अलावा देश के कई प्मुख संगठनों के सा्
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 का कहना है वक प्ो. रामजी वसंह अपने ववर्य के न केवल 50 से अविक पुसतकों   भागलपुर में भड़के दंगों के दौरान शावत और भाईचारे का संदेश लेकर डॉ. वसंह
 के लेखक हैं बस्क इनके 150 से अविक ररसच्च पेपर त्ा वववभन्न पत्र-पवत्रकाओं   भागलपुर के शहर और गांवों की गवलयों में अपने साव्यों के सा् घूमते रहे और   भी सवरिय रूप से जुड़े रहे, वजनमें एफ्ो एवशयन वफलॉसवफकल एसोवसएशन के
                                                                                     े
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 में करीब 250 वनबि भी प्कावशत हो चुके हैं। पररवार के सदसय बताते हैं वक िम्च   भाईचारे और प्म के वदए संदेश की बदौलत दंगे रोकने में समाज की मदद की।   सरिेर्री जनरल और ऑल इंवडया वफलॉसफी एसोवसएशन के अधयक् पद को
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                                                                                    सुशोवभत वकया। इसके अलावा दज्चनों प्मुख संस्ाओं में भी कई प्मुख पदों पर रहे,
 और सभयता पर ववश्व के कई देशों में आयोवजत कई ववशाल कॉनफ्रेंस में डॉ. रामजी   जय प्काश नारायण के कुछ पुराने सहयोगी कहते हैं वक 1974 के आंदोलन और
                                                                                                                                     ं
 वसंह वशरकत कर चुके हैं वजनमें भारत, पावकसतान, बांगलादेश, नेपाल, श्ीलंका,   इमरजेंसी के वखलाफ जय प्काश नारायण ने जब अपनी आवाज़ बुलंद की उस   वजनमें सव्च सेवा संघ, सेवाग्ाम, सववोदय मंडल, हररजन सेवक संघ, शावत सेना और
                                                                                                      े
 वसंगापुर, ्ाईलैंड, जापान, साउ् कोररया, यूएसएसआर, इवजपर्, साउ् अफ्ीका,   दौरान प्ो. रामजी वसंह जेपी के बेहद करीबी लोगों में से एक ्े। ऐसे में इमरजेंसी   आचाय्च कुल का नाम उल्खनीय है।
 केनया, यूके, हॉलैंड, फ्ास, इर्ली, यूएसए, कनाडा आवद शावमल हैं।  के ववरोि में लोगों को एकजर् करने की वदशा में डॉ. वसंह ने जो काम वकए उस  े
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                                                                                                  ू
 आम लोगों के अलावा जेपी ने भी सराहा लवकन सरकार के ववरोि में अपनी आवाज                 फेडरेशन ऑफ़ यवनववस्चर्ी सवव्चस र्ीचस्च एसोवसएशन द्ारा अपनी मांगों के
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 इसके अलावा डॉ. रामजी वसंह 1993 में वशकागो और 2001 में केपर्ाउन में   बुलंद करने के कारण डॉ. रामजी को वगरफतार कर वलया गया और मीसा कानून के   सम््चन में आयोवजत वशक्क आंदोलन के दौरान एक महीने जेल में गुजार चुके डॉ.
 आयोवजत व्ड्ड पावल्चयामेंर् ऑफ़ ररवलजन द्ारा आयोवजत ववशाल कॉनफ्रेंस में   तहत करीब 17 महीने उनहें भागलपुर और हजारीबाग की जेलों में गुजारने पड़े।  रामजी वसंह को कई सरकारी और सवयंसेवी संस्ाओं द्ारा वशक्ा के क्ेत्र में इनके
 भी वहससा ले चुके हैं। जानकार बताते हैं वक राष्ट्वपता महातमा गािी के 125 वें        द्ारा वकए गए कामों को देखते हुए कई बार सममावनत वकया गया है। इसके अलावा
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                                                                                                                ू
                                                                                    हररयाणा की प्वसद्ध गुरु गोववनद वसंह यवनववस्चर्ी ने मानद डीवलट् और इंवडयन
 जनमवदवस पर यूके में आयोवजत ववशाल सभा और पदयात्रा में डॉ. रामजी वसंह न  े  प्ो. (डॉ) रामजी वसंह के पुत्र और भारतीय सेना में कैपर्ेन के पद पर अपनी सेवाए  ं
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 वहससा वलया और इसके 25 सालों बाद राष्ट्वपता के 150 वें जनमवदवस के अवसर   दे चुके सीपीएम के वररठि नेता और अवखल भारतीय शावत एवं एकजर्ता संगठन   काउंवसल ऑफ़ वफलॉसवफकल ररसच्च द्ारा डॉ. वसंह को लाइफ र्ाइम अचीवमेंर्
 पर बांगलादेश के नोआखली में आयोवजत ववशाल सभा के भी डॉ. वसंह गवाह बन  े  में वबहार राजय पररर्द् के महासवचव सववोदय शमा्च बताते हैं वक भागलपुर के प्वसद्ध   अवॉड्ड से सममावनत भी वकया जा चुका है। देश के वशक्ा जगत में डॉ. वसंह के
                                                                                    योगदान का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है वक भारत के महामवहम
                                                                                    राष्ट्पवत द्ारा डॉ. वसंह को वदल्ी के जवाहर लाल नेहरू ववश्वववद्ालय में न
                                                                                                                  ू
                                                                                    केवल नॉवमनी वनयुक्त वकया गया, बस्क यवनववस्चर्ी ग्ांर् कमीशन में सेवावनवति
                                                                                                                                           ृ
                                                                                    होने के पश्ात भी मानद प्ोफेसर के रूप में इनहें दावयतव सौंपा गया।
                                                                                      "21वीं शताबदी में गािी" नामक लोकवप्य पुसतक के लेखक प्ो. (डॉ) रामजी
                                                                                                    ं
                                                                                    वसंह पुराने वक्त को याद कर बताते हैं वक इंर्रनेशनल वफलॉसवफकल कॉनफ्रेंस
                                                                                    में मुझे रूस जाने का अवसर वमला और उस कॉनफ्रेंस में मेरी मुलाकात सोववयत
                                                                                     ू
                                                                                    यवनयन के पव्च राष्ट्पवत वमखाइल गोवा्चचोव से हुई और बातचीत के दौरान
                                                                                             ू
                                                                                    मैंने उनहें महातमा गािी से जड़ी कई पुसतकरें भर् कीं। पावकसतान के लाहौर में
                                                                                                        ु
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                                                                                                                     े
                                                                                    आयोवजत एवशयन वफलॉसवफकल कॉनफ्रेंस में वशरकत करने डॉ. वसंह लाहौर
                   अंखफोड़वा कांड ने उस वक्त पूरे देश को वहला कर रख वदया ्ा। मुझे अचछी तरह   पहुंचे और वहां की सभयता और संसककृवत से जड़ी कई पुरानी यादों को हमस  े
                                                                                                                     ु
                   याद है वक मेरे वपता रामजी वसंह इस घर्ना के बाद काफी परेशान रहने लगे ्े   साझा वकया। सा् ही यूके में आयोवजत व्ड्ड वफलॉसावफकल कॉनफ्रेंस की चचा्च
                   और कहा करते ्े वक इस जघनय घर्ना को अंजाम देने वालों पर यवद काय्चवाही न   करते हुए डॉ. वसंह ने बताया वक उस दौरान यूके के प्मुख समाचार पत्र गावड्डयन
                   की गई तो समाज में ऐसी घर्नाओं की पुनराववति होगी और आगे आने वाली पीढ़ी   की एक मवहला पत्रकार मुझसे वमली और मेरा इंर्रवय वलया। अगले वदन सुबह
                                                    ृ
                                                                                                                           ू
                   हमें कभी माफ नहीं करेगी। मेरे वपता एक वनभटीक इंसान हैं और हमेशा सच के सा्   मेरी नजर अखबार में अपनी बड़ी सी तसवीर के सा् फुल पेज आवर््डकल पर
                   खड़े रहना पसंद करते हैं।  एक वदन मुझे पता लगा वक वपताजी ने इस कांड के   पड़ी। गावड्डयन जैसे प्वतसठित अखबार में मेरा छपना मुझे यह एहसास करा गया
                   वखलाफ अपनी आवाज मुखर की और इस पूरे मामले को उच्चतम नयायालय लेकर   वक महातमा गािी ने वहंदुसतान को पूरे ववश्व में एक सशक्त  राष्ट् के रूप में
                                                                                              ं
                   गए और इसका नतीजा हम सभी के सामने है।                             स्ावपत वकया है।
                      वबहार की जानी-मानी प्सवत एवं सत्री रोग ववशर्ज्ञ और प्ो. रामजी वसंह की   बहरहाल, लोकसभा के सांसद रहते हुए प्वतवदन साइकल से यवनववस्चर्ी
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                   पुत्रविू डॉ. नीलम कहती हैं वक प्ो. रामजी वसंह ने अपना पूरा जीवन सादगी स  े  तक जाने वाले डॉ. रामजी वसंह न केवल देश के जाने-माने वशक्ाववद हैं, बस्क
                   वबताया और अपनी आवशयकतों को हमेशा वनयंत्रण में रखा। दो जोड़ी खादी के   इनकी वगनती जय प्काश नारायण, आचाय्च ववनोबा भावे, मोरारजी देसाई,
                   सफेद वलबास में पूरी वजंदगी गुजार देने वाले इस शखस की शसखसयत का अंदाजा   जगजीवन राम और भारत के पव्च प्िानमत्री चंद्रशेखर के बेहद करीबी लोगों में
                                                                                                          ू
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                   आप इस बात से लगा सकते है वक गांव के एक सािारण से सककूल से पढ़ने वाल  े  भी की जाती है, वजनके ववजन की बदौलत भारत को न केवल एक नई वदशा
                   प्ो. वसंह ने ववश्वववद्ाल के कुलपवत से लेकर लोकसभा के सांसद तक का सफर   वमली बस्क आिवनक भारत के वनमा्चण में डॉ. रामजी वसंह के योगदान को कभी
                                                                                                ु
                   तय वकया और साल 2020 में भारत सरकार ने इनहें पद्मश्ी सममान से नवाजा।   भुलाया नहीं जा सकता। O
 94  पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजरी सिंह                                                                                  पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजरी सिंह  95
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