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31 बदसांिर 1979 को बिहार के मुजफ्फरपुर में जनमे ्डॉ. काबत बकशोर के बपता   में पो्ट ग्जुएट करिे के इरादे से ्डॉ. काबत बकशोर पटिा मेब्डकल कॉलेज एिां
                                                                                                                    ां
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                       बकशोरी रमि प्रसाद सीतामढ़ी स्थित कई ग्ामीण बमब्डल ्ककूलों में ितौर बशक्षक   अ्पताल आ गए और 2 सालों िाद 2008 में पीजी की पढ़ाई पूरी की।
                       काय्यरत रहे। ऐसे में काबत बकशोर की प्रारंबभक बशक्षा सीतामढ़ी स्थित बतलक ताजपुर
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                                                                                                      ां
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                       के सरकारी बिद्ालय से हुई जहा काबत चौथिी कक्षा तक पढ़े। आगे की पढ़ाई के   इसी साल ्डॉ. काबत बकशोर को पटिा के कुजजी स्थित होली ्फैबमली हॉस्पटल
                       बलए काांबत रुन्ी सैदपुर आ गए और यही के एक सरकारी बिद्ालय में पाचिी कक्षा   से काम का ऑ्फर बमला और ्डॉ. बकशोर िे इस बमशिरी अ्पताल में ितौर
                                                                           ां
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                       तक पढ़े। बपता के बिरंतर होते तिादलों के िीच काबत िे एक िार ब्फर सीतामढ़ी   जॉइंट रबज्रिार अपिा योगदाि बदया। पटिा के कुजजी स्थित इस अ्पताल में कुछ
                       के मोरसां्ड गिि्यमेंट ्ककूल में छठी कक्षा में िामाकि कराया और इस ्ककूल में कुछ   महीिे काम करिे के िाद ्डॉ. बकशोर सीतामढ़ी के रुन्ी सैदपुर आ गए और अपिी
                                                        ां
                       सालों तक पढ़िे के िाद काबत बकशोर िे सीतामढ़ी के िेलसां्ड गिि्यमेंट हाई ्ककूल   बिजी प्रैस्टस शुरू की लबकि 3 महीिे िाद ्डॉ.काबत मुजफ्फरपुर चले आए और
                                                                                                                           ां
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                       का रुख बकया और इसी सरकारी बिद्ालय से काबत िे साल 1994 में मैबरिक की   एक छोटी सी सलिबिक की शुरुआत की। 2009 में बिहार के गया स्थित प्राइमरी
                       परीक्षा पास की और िाराणासी के प्रबसद्ध सििीम इंस्लश ्ककूल में िारहिीं में   हेलथि सेंटर से उनहें िौकरी का ऑ्फर आया और पररिार की सलाह पर ्डॉ.
                       िामाकि कराया और िाद में ििारस बहंदू यूबििबस्यटी से स्ातक बकया।   काबत गया आ गए और पीएचसी में अपिा योगदाि बदया। अगले ही साल 2010 में
                                                                                         ां
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                                                                                       उिका तिादला ्डेपयटेशि पर गया मब्डकल कॉलेज, गया में कर बदया गया। इस
                                                                                                                े
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                          पटिा बिश्वबिद्ाल से एम.ए और भोपाल के िसल कॉलेज से एमिीए की ब्डग्ी   अ्पताल में 5 महीिे तक अपिी सिाए दिे के िाद ्डॉ.काबत िापस प्राइमरी हेलथि
                                                         ां
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                       हाबसल कर चुकीं ्डॉ. काबत बकशोर की पतिी बप्रया पायल िताती हैं बक ्डॉ. बकशोर के   सेंटर चले आए और इसके अगले ही साल 2011 में ्डॉ. काबत बकशोर िे सरकारी
                                                            े
                       माता-बपता दोिों बशक्षक थिे और मेरी सास ्ि. पिि दिी अपिे िक्त की ्ककूल टॉपर   िौकरी छोड़ अपिी बिजी प्रैस्टस करिे का मि ििाया। ्डॉ. बकशोर के बपता
                                                                                                                   ां
                       भी रहीं। यही िजह थिी बक उनहोंिे अपिे िच्ों की पढ़ाई पर खासा धयाि बदया। पढ़ाई   बकशोरी रमि प्रसाद अपिे पुत्र ्डॉ. काबत से कहा करते थिे बक इंसाि चाहे बजस
                                                                                                        ु
                       में गहरी रुबच रखिे िाले काबत बकशोर िे अपिी पढ़ाई को आगे िढ़ाया और साल   बकसी भी प्रो्फेशि से जड़ा हो उसमें दही की तरह जमिे के गुण होिे चाबहए। यािी
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                       1998 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के प्रबसद्ध िीआर्डी मेब्डकल कॉलेज में अपिा   हम जो भी काम करें उसमे पूरी बिष्ा से साथि अपिा शत प्रबतशत दें तो यकीिि
                                                                                                                               ां
                       िामाकि कराया। इसी कॉलेज से साल 2003 में बकशोर िे एमिीिीएस की ब्डग्ी   त्िीर िदल सकती है। बपता की कही िात अि ्डॉ. काबत के बदमाग में घर कर
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                                             ां
                       हाबसल की और 2005 में ्डॉ. काबत बकशोर िे अपिी इंटि्यबशप पूरी की और गोरखपुर   चुकी थिी।
                       के िीआर्डी मेब्डकल कॉलेज से हाउस जॉि का ऑ्फर बमला, बजसे ्डॉ. बकशोर
                                                                                                         ां
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                       िे ्िीकार बकया और इसी कॉलेज को तीि माह तक अपिी सेिाए दी। साल 2006   जििरी 2010 में ्डॉ.काबत बकशोर िे गया में अपिी बिजी सलिबिक की शुरुआत, तो
                                                                                       कर दी लबकि बिबिित रूप से इसका बि्तार साल 2011 में िौकरी छोड़िे के िाद हुआ
                                                                                              े
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                                                                                       और ब्फर ्डॉ. काबत बकशोर िे कभी पलट कर पीछे िहीं देखा। िक्त के कैलें्डर पर
                                                                                       बदि, महीिे और साल िदलते गए और िदलते समय के साथि अपिी कड़ी मेहित के
                                                                                       दम पर ्डॉ. बकशोर िे िो सि कुछ हाबसल बकया, जो बकसी बचबकतसक का सपिा होता
                                                                                       है यािी मरीजों का पयार, बिश्वास और कबठि पररश्रम के िुते बमली शोहरत।
                                                                                                            ां
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                                                                                       उम्र देखकर िहीं बमलती ि स्फलता का कोई शाट्टकट होता है। कामयािी हमेशा
                                                                                       ईमािदारी के साथि कबठि पररश्रम करिे िालों को बमलती है। बपता की कही यही
                                                                                       िात मेरे बदलों बदमाग में िैठ गई। एक सिाल के जिाि में ्डॉ. बकशोर कहते हैं बक
                                                                                       मेरी स्फलता के पीछे यबद बकसी को श्रेय जाता है, तो िो मेरे मरीज हैं बजनहोंिे मेरे
                                                                                       इलाज पर भरोसा जताया। मेरी हर सभि कोबशश रहती है बक मेरे मरीजों का भरोसा
                                                                                                                  ां
                                                                                       मुझ पर कायम रहे। बशशु रोग बिशेषज्ञ के तौर पर मैंिे अपिे चाईल्ड हॉस्पटल में
                                                                                       हर िो इंतजाम करिे के प्रयास बकए हैं बजससे, मरीजों को इलाज या जाच के बलए
                                                                                                                                          ां
                                                                                       िाहर ि जािा पड़े। आज हमारे अ्पताल में एिआईसीयू, पीब्डयाबरिक केयर, ओपी्डी,
                                                                                       ि्सीिेशि एिां िबसक पीआईसीयू की सुबििा उपलबि है।
                                                                                                   े
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                                                                                          2017-18 में िो्टि यूबििबस्यटी से पीजीपीएि के 6 माह की ऑिलाइि कोस्य कर
                                                                                                                                    े
                                                                                               ां
                                                                                       चुके ्डॉ. काबत बकशोर िे पीब्डएबरिक नयूबरिशि प्रोग्ाम में पो्ट ग्जुएट भी बकया है।
                                                                                       साथि ही पीब्डयाबरि्स ऐां्ड बियोिेटोलॉजी पर आयोबजत राजय और राष्टीय ्तर के
                                                                                       िक्कशॉप एिां कॉनफ्रेंस में बह्सा ले चुके हैं।
                                                                                          कबठि पररश्रम और सघष्य के दम पर बिहार के बचबकतसा जगत में अपिी अलग
                                                                                                         ां
                                                                                                          ां
                                                                                       पहचाि रखिे िाले ्डॉ. काबत बकशोर का जीिि बिहार के लाखों युिाओं के बलए एक
                                                                                       सदेश है बक, कोबशश करिे िालों की कभी हार िहीं होती। O
                                                                                         ां
                       34    डॉ. क्रांति तिशोर                                                                                                                                                                                                                                                    डॉ. क्रांति तिशोर  35
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