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जानकार बताते हैं कक पारंपररक तकनीक से ककया गया प्रतयारोपण कजसकी
अनुमाकनत उम्र 20-25 साि के आसपास होती है वही रोबोकटिक तकनीक से सज्जरी के िॉ. आशडीष व्संह ने विश्व के जाने-माने िॉ. फ्ेवरिि वपकाि्ड के ्साथि गिा्गो
बाद मरीज़ों को आने वािे 30-35 सािों तक कोई परेशानी नहीं होती। ऐसे में कहा जा ्से रोबोवटक एिं नेविगेशन तकनडीक ्से घुटना एिं कूलहा प्रत्ारोपण में
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सकता है कक यह तकनीक कम उम्र के रोकगयों के किए वरदान है। भारतीयों में तेज़ी कं््ूटर अव्स्टेि ऑथिथोपविक व्स्टम में वि्िोमा हाव्सि वक्ा
से बढ़ते घुटिने के दद्ज की सम्याओं पर िॉ. आशीष कहते हैं कक दरअसि हमारी िॉ. व्संह ने िंदन के रॉ्ि वििॉन हॉस्पटि एक्सटडीरार ्से कूलहा
बदिती जीवन शैिी के कारण एक उम्र के बाद यह सम्या प्रत्ारोपण का विशेष प्रवशक्षण हाव्सि वक्ा
जनम िेने िगती है। िोगों का िानपान, वजन का अकधिक िंदन ्से भारत िौटकर िॉ. आशडीष व्संह को ्सम्-्सम् पर ्साउथि
होना, वयायाम आकद न करना एवं धिूप न िेना इन रोगों के कोरर्ा के व्स्ोि, वदल्डी स्थित एम्स, पडी.जडी.आई ििडीगढ़,
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कारणों में है। ऐसे में िोगों में जागरूकता बेहद जरूरी है। एवश्ा पव्सवफक आथिथो्िा्टडी कॉनफरें्स, इंवि्न ए्सोव्सएशन
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यकद िोग चाहते हैं कक वे घुटिनों की सम्याओं से दूर रहें, ऑफ़ वहप ऐि नडी ्सज्सन्स ज्से ्िटफाम्स के अिािा मवणपुर,
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तो इसके किए जरूरी है कक िोग कनयकमत वयायाम करें। वदल्डी, कोिकाता, बैंगिोर, िेन्नई और मंबई आवद शहरों
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कवशेषकर पांव और घुटिनों का वयायाम तो जरूर करें, सार् ्से िेक्चर के विए आमवरित वक्ा जाता है
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ही अपने शरीर को हलका यानी वजन कनयंकरित रिें।
िॉ. आशीष के कपता और देश के खयाकत प्राप्
ऑर्थोपेकिक सज्जन पद्मश्ी िॉ. आर.एन.कसंह कहते हैं कक
मेरे पुरि आशीष आरंभ से ही मेघावी छारि रहे हैं। उनहोंने कुछ वक़त तक पटिना के सेंटि माइकि ्कूि के छारि भी रहे
िंबे अरसे तक बोकििंग में रहकर न केवि पढ़ाई की, बसलक और साि 2002 में नागपुर कवश्वकवद्ािय के अधिीन जवाहर
कवश्व के कई देशों के प्रकतसष्ठत कॉिेजों से उच्च कशक्षा िाि नेहरू मेकिकि कॉिेज से एमबीबीएस की किग्ी अपने
हाकसि करने के अिावा दुकनया के कई कवखयात कचककतसकों नाम की। 2002-03 में कदल्ी के प्रकसद्ध सफदरजंग अ्पताि
के सार् िंबे समय तक काम भी ककया है। गवाकियर के से इंटिन्जकशप करने के बाद िॉ. आशीष कसंह कुछ वक़त तक
कसकधिया ्कूि से प्रारंकभक कशक्षा ग्हण करने वािे आशीष कदल्ी के राम मनोहर िोकहया अ्पताि में काय्जरत रहे
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और साि 2005-08 में पुणे के प्रकसद्ध संचेती कॉिेज से पी.जी
करने के बाद कांकत िाि ह्तीमि संचेती अ्पताि के
चेयरमेन पद्मकवभूषण िॉ. कांकत िाि के सार् काम ककया।
2008 में पुणे के संचेती अ्पताि से िॉ. आशीष ने एम.एस
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ककया और इसी साि मुंबई के कूपर मेकिकि कॉिेज में बतौर सीकनयर रेकजिटि
अपना योगदान कदया। 2009 में िॉ. आशीष कसंह वापस पुणे िौटिे और यशवंत राव
चौहान मयुकनकसपि हॉस्पटिि में अगिे 6 माह तक िेक्चरर के रूप में अपनी सेवाएं
दीं। अपने क्षेरि में कुछ नया करने की चाहत के बीच 2009-10 में िॉ. आशीष का
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एम.सी.एच के किए चयन हुआ और ्कॉटििि में रहकर िॉ. कसंह ने सुपर ्पेकशकिटिी बेहतर से बेहतर उनहें देना चाहता है। यही कारण है कक हमारा अनूप इंस्टिट्ूटि ऑफ़ कसंह को यंग िॉकटिर ऑफ़ द ईयर अवॉि्ड देकर सममाकनत भी ककया गया।
में प्रकशक्षण हाकसि करने के सार् संबंकधित किग्ी भी अपने नाम की। अपने काम ऑर्थोपकिकस ऐि ररहेकबकिटिेशन िोगों के कदि में जगह बनाने में सफि रहा है।
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की बदौित तेज़ी से बढ़ती िोककप्रयता के बीच िॉ. आशीष को िंदन के प्रकसद्ध इंकियन मेकिकि एसोकसएशन की कबहार इकाई से जुड़े कई कचककतसक कहते
एकिनबग्ज रॉयि इंफॉरमेरी गोलिन जुबिी हॉस्पटिि से नौकरी का ऑफर कमिा, कचककतसा जगत के जानकार बताते हैं कक घुटिना और कूलहा प्रतयारोपण की सफि हैं कक िॉ. आशीष कसंह सही मायनों में योगय कपता के योगय पुरि हैं। िॉ. आशीष ने
कजसे िॉ. आशीष ने सहष्ज ्वीकार कर किया और इसी अ्पताि में साि 2010 से सज्जरी में अपना अिग मुकाम बना चुके िॉ. आशीष कसंह प्रतयेक वष्ज करीब 500 माच्ज 2018 के अंकतम सप्ाह में अपने कंकड़बाग स्र्त अ्पताि यानी ए.आई.ओ.आर
2014 तक पद्र्ाकपत रहे। िॉ. आशीष बताते हैं कक स्टिरकिंग रॉयि इनफममेरी में से 700 कूलहा जोड़ एवं घुटिना प्रतयारोकपत करते हैं। रोबोटि एवं नेकवगेशन तकनीक से कबहार की कचककतसा जगत में पहिी बार िाइव सज्जरी का िेमॉनसट्ेशन कदया
पोस्टिंग के दौरान मुझे रॉयि कॉिेज ऑफ़ सज्जन के प्रेकसिेंटि के सार् भी काम का से सज्जरी करने के किए कवखयात िॉ. आशीष की िोककप्रयता और उपिस्धियों का कजसका प्रसारण वापी गुजरात, इंिोनेकशया, मेसकसको, रूस और इकजपटि तक के
अवसर कमिा। इसके अिावा कवश्व के जाने-माने हड्ी रोग कवशेषज्ों में प्रो. िेकवि अंदाज़ा इस बात से िगाया जा सकता है कक साि 2017 में ्वा््थय पर आधिाररत कचककतसकों ने देिा और इनकी सज्जरी के कायि हो गए।
बेवरिि, िॉ. माकटि्डन सारूंगी, िॉ. कचतरंजन राणावत के सासन्धय में मैंने घुटिना एवं अंग्ेजी की प्रकसद्ध पकरिका मेिगेटि टिुिे के कवर पृष्ठ पर “इनोवेटिस्ज ऐंि पायकनयस्ज
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कूलहा प्रतयारोपण में कवकशष्ट प्रकशक्षण भी हाकसि ककया।
ऑफ़ हेलर् सेकटिर” में िॉ. आशीष कसंह को मेदांता के िॉ. नरेश रिेहन, कदल्ी एमस के ए.आई.ओ.आर के प्रबंधिन का कहना है कक हमारे अ्पताि में कवश्व की प्रकसद्ध
कनदेशक िॉ. रणदीप गुिेररया, वाकिया हॉस्पटिि की सी.ई.ओ िॉ. कमन्ी बोधिनवािा, कंपनी ्ट्ाइकर द्ारा कशक्षण सं्र्ान भी संचाकित है, कजसमे पसचिम बंगाि, नार््ज
कबहार और देश के जाने-माने हड्ी रोग कवशेषज्, कवश्व कहंदू पररषद् के राष्ट्ीय पारस हॉस्पटिि के िॉ. शंकर नारंग, मेकिका सुपर ्पेशकिटिी के िॉ. अिोक रॉय ई्टि और बांगिादेश के सज्जनस िॉ. आशीष के पास दो से तीन कदनों के किए आते हैं
अधयक्ष और िॉ. आशीष कसंह के कपता पद्मश्ी िॉ. आर.एन.कसंह कहते हैं कक वक़त और केनटि आर.ओ के िॉ. महेश गुप्ा के सार् ्र्ान कदया गया है। जहां सज्जनस टिू सज्जनस काय्जक्रम का संचािन ककया जाता है।
तेज़ी से बदि रहा है और बदिते समय के सार् कनतय नए प्रयोग भी ककए जा रहे
हैं। मकिकि साइंस में हर पि नए प्रयोग हो रहे हैं और इन प्रयोगों की बदौित नई माच्ज 2018 को मुंबई के इंटिरनेशनि कनवेंशन सेंटिर में आयोकजत एम.टिी अवॉरस्ज बहरहाि, ्ट्ाइकर, देपुय, मेररि और कज़ममर जैसी फारयू्जन 500 मलटिीनेशनि
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तकनीक के सार् आगे बढ़ना ही समय की मांग है। िॉ. आर.एन.कसंह आगे कहते हैं कक 2018 के दौरान महाराष्ट् सरकार के ्वा््थय मंरिी द्ारा अनूप इंस्टिट्ूटि ऑफ़ मेकिकि इमपिांटि कंपकनयों के कोस्ज फैकलटिी के तौर पर काम कर रहे िॉ. आशीष
इस प्रोफेशन में वषषों का मेरा अनुभव बताता है कक िॉ. आशीष अपने काम के प्रकत बेहद ऑर्थोपेकिकस ऐंि ररहेकबकिटिेशन को बे्टि कसंगि ्पेशकिटिीज हॉस्पटिि इन नार््ज कसंह का नाम ्कॉटििि स्र्त यूकनवकस्जटिी ऑफ़ ििी, एम.सी.एच ऑर्थोपेकिकस के
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गंभीर और अपने मरीज़ों के प्रकत ईमानदार कचककतसक की भकमका में हैं, जो अपना
इंकिया के किताब से नवाज़ा गया, तो वहीं अ्पताि के ्वा््थय कनदेशक िॉ. आशीष कवकजकटिंग फैकलटिी के रूप में भी शुमार है। O
26 डॉ. आशीष सिंह डॉ. आशीष सिंह 27