Page 24 - CTB Hi resolution visioneries of bihar pdf
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अधयक् हैं िक््क बिबभन्न प्रकार के िेलों
को िढ़ािा देने के कारण इनहें बिला
एथलबटक एिोबिएशन का अधयक् भी
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िनाया गया है। इसट िंपारण िैडबमंटन
िाल 1971 में आशुिोष ने मोबिहारी के प्रबिद्ध एम.एि कॉलेि के आई.एि.िी के एिोबिएशन के प्रेबिडेंट के िौर पर एक
पहले िि में दाबिला बलया और 1973 में प्रथम श्ेणी िे पाि हुए। इिी िाल उनका िड़ी बिममदारी भी इनहीं के कंधों पर है।
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नामांकन दरभंगा मेबडकल कॉलेि में हुआ और इिी कॉलेि िे आशुिोष शरण ने डॉ. आशिोष शरण मोबिहारी के प्रबिद्ध
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िाल 1979 में एमिीिीएि की बडग्ी हाबिल की। निीन भारिी सककूल के भी प्रेबिडेंट हैं। िे
आयुष के प्रेबिडेंट और अनय बिबकिक
पुराने बदनों को याद कर डॉ. आशुिोष शरण कहिे हैं बक मेबडकल कॉलेि में एिोबिएशन के पासट प्रेबिडेंट हैं।
उनकी मुलाकाि िििीर कौर बिल्लन िे हुई िो न केिल उनकी िहपाठी थीं
िक््क कॉलेि में िे एक मेघािी छात्रा के िौर पर पहिानी िािी थीं। िििीर िे मेरी कोरोना की दिरी और िीिरी
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िढ़िी निदीबकयां मेरी बिंदगी का टबनिंग पॉइंट िाबिि हुईं। 1983 में हमने शादी कर लहर के िीि इंबडयन मबडकल
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ली। डॉ. आशुिोष शरण की पतनी और राजय की िानी-मानी गायनेकोलॉबिसट डॉ. एिोबिएशन ने बिहार के बिन 40
िििीर कौर शरण कहिी हैं, 1970 में मैंने पटना के प्रबिद्ध िेंट िोिेफ कानिेंट हाई प्रमि बिबकतिकों की ििी िारी
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सककूल िे गयारहिीं की परीक्ा पाि की और 1972 में पटना िाइंि कॉलेि में दाबिला की थी उनमें एक नाम डॉ. आशिोष
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बलया। 1973 में मेरा नामांकन दरभंगा मेबडकल कॉलेि में हुआ और 1979 में डॉ. शरण का भी था। मोबिहारी के अपने शरण हॉक्सपटल में बदन राि कोरोना मरीिों
आशुिोष और मैंने एक िाथ ही एमिीिीएि की पढ़ाई पूरी की। की ििा करने के कारण डॉ. आशिोष शरण ििा्स में आए और इंबडयन मबडकल
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एिोबिएशन के अलािा कई प्रमि िामाबिक िंगठनों ने इनहें कोरोना िॉररयर के
इधर डॉ. आशुिोष शरण िाल 1982-84 िक पटना मेबडकल कॉलेि एिं असपिाल िममान िे निािा। िाििीि के रिम में इंबडयन मबडकल एिोबिएशन के राष्टीय
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में खयाबि प्राप्त बिबकतिक डॉ. नरेंद्र प्रिाद के अधीन रहकर िनरल िि्सरी में अधयक् और नेशनल मबडकल कमीशन के िदसय डॉ. िहिानंद प्रिाद बिंह कहि े
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प्रबशक्ण लेने लगे िो उधर डॉ. िििीर ने दरभंगा मेबडकल कॉलेि िे एमडी की हैं बक डॉ. आशिोष शरण न केिल एक काबिल बिबकतिक हैं िक््क नेक बदल
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बडग्ी हाबिल की। 1983 में डॉ. आशुिोष ने ििौर एिडीएमओ िबिया के एम.िे.के इंिान भी हैं। बपछले एक दशक में अपनी ििा के िररये इनहोंने िो शोहरि हाबिल
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असपिाल में अपना योगदान बदया और सटडी लीि लेकर 1982-84 में पटना मेबडकल की है, उिे दििे हुए मुझे िो लगिा है बक ऐिे ही बिबकतिकों को डॉ. िी िी रॉय
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कॉलेि एिं असपिाल िे पी.िी की पढ़ाई पूरी की। 1985 में उनहोंने मोबिहारी के टी.िी नेशनल अिॉड्ड बदया िाना िाबहए िाबक लोगों के िीि एक अचछा िंदेश िाए।
हॉक्सपटल में अपना योगदान बदया। इधर, 1988 में डॉ. िििीर कौर शरण ने बिहार बिहार के िाने-माने हड्ी रोग बिशेषज्ञ और पटना के ििािी रोड क्सथि अघोर
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िरकार के सिास्थय बिभाग में अपना योगदान बदया और राजय िरकार द्ारा इनकी प्रकाश सककूल के ििालकिा्स डॉ. (कप्तान) बदलीप कुमार बिनहा कहिे हैं बक हमारा
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बनयुक्ति लक्मीपुर मुंगेर क्सथि रेफरल असपिाल में कर दी गई। लेबकन पबि की यह सककूल डॉ. िी िी रॉय द्ारा दान में दी गई िमीन पर ही ििाबलि है। िि
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मोबिहारी में पोक्सटग होने के कारण इिी िाल उनका ििादला मोबिहारी के िदर कभी भी इि सककूल को बकिी िीि की िरूरि पड़िी है, िो डॉ. आशिोष शरण
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असपिाल में कर बदया गया िहां ये लंिे िमय िक काय्सरि रहीं। िाथ िड़े रहिे हैं। गौरिलि है बक भारि के िाने-माने बिबकतिक और पक्श्म
िंगाल के ितकालीन मुखयमत्री डॉ. बिधान िंद्र रॉय का िनम ििािी रोड क्सथि
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िाििीि के रिम में डॉ. आशुिोष शरण कहिे हैं बक उनके बपिा डॉ. शंभु शरण इिी सथान पर हुआ था िहां अघोर प्रकाश सककूल ििाबलि है। िाद के बदनों में डॉ.
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का नाम अपने िमय के खयाबि प्राप्त बिबकतिकों में शुमार था। ि्ड्ड मेबडकल रॉय ने बनध्सन और िेिहारा िबचियों की बशक्ा को धयान में रिकर यह िमीन रिसट
एिोबिएशन के अधयक् और आई.एम.ए के बपिामह कहे िाने िाले सि. डॉ. ए.के. के नाम कर दी बििकी दिरेि डॉ. (कप्तान) बदलीप कुमार बिनहा के बिमम है।
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एन.बिनहा के करीिी बमत्र डॉ. शरण 1954 के ग्ेिुएट थे। िे राजय के पहले ऐिे
एम.आर.िी.पी भी रहे बिनहोंने कभी बकिी मेबडकल कॉलेि में अपना योगदान नहीं अपनी िेहिर बिबकतिा के बलए 2019 को पटना में आयोबिि आउटलुक ग्प के
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बदया और िाउम्र अपने बिला मोबिहारी में ही प्रैक्कटि करिे रहे। डॉ. शंभु शरण ने एक काय्सरिम में बफ्म अबभनेिा मनोि िािपयी के हाथों िममाबनि हो िुके डॉ.
मोबिहारी में एक छोटे िे असपिाल शरण हॉक्सपटल की सथापना की थी लेबकन िे आशुिोष शरण को इि िाल बफर मुंिई में आयोबिि गलोिल एकििेलेंि अिॉड्ड
िाहिे थे बक उनके पुत्र डॉ. आशुिोष और पुत्रिधु डॉ. िििीर अपनी अलग राह बफ्म अबभनेत्री माधुरी दीबक्ि के हाथों बदया गया। िानकार ििािे हैं बक इिी िष्स
िनाएं और कुछ अचछा, कुछ अलग करने का प्रयाि करें िाबक लोग उनहें मेरे नहीं 24 माि्स को बिहार िरकार के सिास्थय बिभाग द्ारा आयोबिि बिश्व यक्मा बदिि के
िक््क उनके नाम िे पहिाने। अििर पर बिहार िरकार के सिस्थय मंत्री मंगल पांडेय के हाथों डॉ. आशुिोष शरण
को राष्टीय यक्मा उनमूलन काय्सरिम में उतककृष्ट उपलक्बध के बलए प्रशक्सि पत्र देकर
इधर मोबिहारी के िदर असपिाल िे डॉ. िििीर का रिांिफर िबिया के एम.िे. पाि अि आशुिोष नबििंग होम म्टी सपेशबलटी िेिाओं के िेहिर बिक्प के िाथ िफल बिबकतिक के रूप में पहिान िना िुके इि दंपिी ने िाल 1982 में िमाि भी िममाबनि बकया गया।
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के असपिाल में कर बदया गया िहां िििीर 2004-05 िक काय्सरि रहीं और इिी बिले के मरीिों के बलए िैयार िड़ा था। डॉ. आशुिोष और डॉ. िििीर कहिे हैं बक िेिा के इरादे िे लायि लिि ऑफ मोबिहारी की िदसयिा ग्हण की। इि िति डॉ.
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िरकारी असपिाल िे डॉ. िििीर ने िी.आर.एि ले बलया। पररिार के ििगगों का अमूमन एक म्टी सपेशबलटी हॉक्सपटल में देिा िािा है बक िभी प्रकार की िांि आशिोष लायि लिि कपल के अधयक् हैं। अगले अधयक् के िौर पर डॉ. िििीर डॉ. आशुिोष शरण और डॉ. िििीर अपने दोनों िचिों को लेकर भी िहुि
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कहना है बक डॉ. आशुिोष और डॉ. िििीर ने बपिा की भािनाओं का िममान करिे की िबिधाएं एक ही छि के नीिे उपलबध होिी हैं लेबकन हमने अपने असपिाल में का नाम भी लिि के िदसयों के िामने हैं। डॉ. आशिोष शरण लिे िति िे इंबडयन आशाक्निि हैं। िे कहिे हैं बक हमारी िेटी डॉ. बनबकिा शरण रेबडयोलॉबिसट है और
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हुए मोबिहारी के ज्ञान िािू िौक िे शरण क्लिबनक के नाम िे एक 10 िेड िाले पैथोलॉिी, केबमसट शॉप, अ्रिािाउंड आबद अनय िुबिधाओं को असपिाल पररिर िे मबडकल एिोबिएशन की मोबिहारी शािा के िबिि हैं। िाथ ही िे एिोबिएशन ऑफ हमारा पुत्र डॉ. बनबिल शरण लेप्रोसकोबपक िि्सन हैं। हमें पूरा भरोिा है बक हमारे
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छोटे िे असपिाल की शुरुआि की और बफर कभी पलट कर पीछे नहीं देिा। बदन दूर रिा है िाबक मरीि अपनी िुबिधानुिार िहां िाहे िांि करा िकिा है। िाथ ही िि्सनि ऑफ इंबडया के फेलो होने के अलािा फेलो ऑफ इंटरनेशनल कॉलि ऑफ मरीिों को इन दोनों के अनुभिों के िाथ िेहिर बिबकतिा का पूरा लाभ बमलेगा और
महीने और िाल िदलिे गए और देििे ही देििे इि बिबकतिक िोड़े का नाम िेहिर बिबकतिा को धयान में रिकर पटना के िररष्ठ बिबकतिक भी अपने िेिाएं देने िि्सनि के िदसय भी हैं। डॉ. आशिोष शरण भारिीय पबलि िेिा के एक अिकाश आने िाले िति में मोबिहारी में क्सथि हमारा यह असपिाल राजय की बिबकतिा िगि
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अि हर बकिी की ििां पर था। बपिा द्ारा सथाबपि छोटे िे शरण हॉक्सपटल के मोबिहारी आिे रहिे हैं। प्राप्त अबधकारी द्ारा ििाबलि प्रबिद्ध िंसथा ‘प्रयाि’ के न केिल िंरक्क और
में मील का पतथर िाबिि होगा। O
22 डॉ. आशुतोष शरण डॉ. आशुतोष शरण 23