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मई 2000 में नेफ्ोलॉजी और लप्रो्कोबपिक ्जजिरी को धयान में रखकर मैंने पिटना पिटना मबडकल कॉलेज में हुआ और इ्ी मबडकल कॉलेज ्े ्तयजीत ने ्ाल 1974 में
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के गांधी मैदान के नजदीक 22 िेड के अतयाधबनक ्पिर ्पिशबलटी रूिन मेमोररयल एमिीिीए् की पिरीक्षा पिा् की और 1978 में पिीएम्ीएि ्े एमए् भी बकया। पिुराने बदनों
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हॉस्पिटल की शुरुआत की और पििजि ्े ्िाबलत रतन ्टोन सलिबनक को इ् अ्पिताल को याद कर डॉ. ्तयजीत ब्ंह िताते हैं बक मािजि 1971 में हमने िांगलादेश की ्ीमा पिर
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में शाबमल कर बलया। डॉ. ्तयजीत आगे कहते हैं बक अपिने लिे बिबकत्ीय जीिन में मैंन े एक ्िा््थय बशबिर का आयोजन बकया ्ा जो तीन माह तक ्फलतापिूिजिक िला। जि
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कई िार यह मह्् बकया बक पिटना को एक अतयाधबनक मलटी्पिशबलटी अ्पिताल की हम पिटना लौटे ति पिीएम्ीएि की तरफ ्े हमें ्ममाबनत भी बकया गया।
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जरुरत है, बज्के आभाि में मरीज द्रे प्रदेशों का रुख करते हैं। इ् िात को धयान में
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रखकर ्ाल 2014 में मैंने पिटना के पिाटबलपिुत्र कॉलोनी में रूिन मेमोररयल हॉस्पिटल के एमए् करने के िाद इ्ी ्ाल डॉ. ्तयजीत ्रकारी ्िा में आ गए और इनकी
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नाम ्े 200 िेड के अतयाधबनक अ्पिताल की शुरुआत की और आगे आने िाले कुछ ही पिोस्टग अबिभाबजत बिहार के िुरमु बलॉक में कर दी गई, जहां डॉ. ्तयजीत ने एक ्ाल
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्ालों में इ् अ्पिताल को एनएिीएि ने मानयता भी प्रदान कर दी। तक काम बकया। पिढ़ाई में गहरी रूबि रखने िाले डॉ. ्तयजीत ब्ंह ्रकारी नौकरी का
तयाग कर उच् बशक्षा हाब्ल करने के इरादे ्े जुलाई 1979 में इंगलैंड पिहुंिे और 1984 में
जानकार िताते हैं बक डॉ. ्तयजीत ब्ंह बजतने काबिल बिबकत्क हैं उतने ही फेलोबशपि बकया ्ा् ही रॉयल कॉलेज ऑफ गला्गो और एबडनिगजि ्े एफआर्ीए्
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िड़े बिजनरी भी। वयापिार में जोबखम लेने की प्रिृबत की िदौलत डॉ. ्तयजीत आज की बडग्ी भी अपिने नाम की। 1986 में लंदन यबनिब्टी ्े यूरोलॉजी में बडपलोमा हाब्ल
्फलता के बज् मुकाम पिर खड़े है िहां पिहुंि पिाना हर वयसति का ्पिना होता है। 25 करने िाले डॉ. ब्ंह ने ्ाल 1986 ्े 89 के िीि लंदन के ना्जि बमबडल ्ेक् हॉस्पिटल
्ाल आगे की ्ोि रखने िाले डॉ. ्तयजीत ब्ंह की दूरदबशजिता का अंदाजा इ्ी िात में ितौर ्ीबनयर रबज्रिार अपिनी ्िाएं दीं और 1989 ्े 91 के दौरान लंदन यबनिब्टी
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्े लगाया जा ्कता है बक इ् ्ाल अकटिर माह में पिटना के पिाटबलपिुत्र कॉलोनी स््त इंस्टट्ट ऑफ यूरोलॉजी में लेक्चरर के रूपि में छात्रों के ्ामने रहे। ्ाल 1991 में
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में स््त रूिन मेमोररयल हॉस्पिटल के बिलकुल पिा् स््त बिसलडग में अ्पिताल डॉ. ब्ंह को ्ऊदी अरि के प्रब्द् अमेररकन मबडकल इंस्टट्ूट हॉस्पिटल ्े काम का
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की एक नई शाखा की भी शुरुआत हुई है। 190 िेड के अतयाधबनक मलटी्पिशबलटी ऑफर बमला बज्े डॉ. ब्ंह ने ्िीकार बकया और इ्ी अ्पिताल में डॉ. ्तयजीत 1993
इ् हॉस्पिटल में ्म्त रोगों के उपििार के अलािा कैं्र के इलाज की भी ्ुबिधा तक पिद््ाबपित रहे और कॉनरिैकट की ्मासति के िाद इ्ी ्ाल डॉ. ्तयजीत िापि्
उपिलबध होगी। यानी पिाटबलपिुत्र कॉलोनी स््त इन दोनों ही अ्पितालों को जोड़ बदया इंगलैंड आ गए और कं्लटेंट यूरोलॉबज्ट के रूपि में ि्ट बमडलैंड स््त जॉजजि एबलएट
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जाए तो कुल 390 िेड की ्बिधाओं के ्ा् यह अ्पिताल मरीजों के बलए िौिी्ों घंटे
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तैयार खड़ा है। आउटलुक ग्ुपि के कं्सलटग ए्ोब्एट एबडटर बदनेश आनंद ्े हुई हॉस्पिटल में अपिना योगदान बदया जहां डॉ. ब्ंह 1995 तक कायजिरत रहे और 1996 में यूके के जाने-माने कं्लटेंट ्पिाइनल ्जजिन और डॉ. ्तयजीत ब्ंह के िड़े पिुत्र डॉ.
बिशर् िातिीत के दौरान डॉ. ्तयजीत ब्ंह िताते हैं बक पिटना के गांधी मैदान स््त इंगलैंड की धरती को अलबिदा कह बहंद्तान िापि् आ गए। ्ंजीत ब्ंह और लंदन के इमपिीररयल कॉलेज ्े स्ातक और यूके के इमरजें्ी मबडकल
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रूिन मेमोररयल हॉस्पिटल 50 िेड का ्पिर्पिशबलटी हॉस्पिटल है बज्े बिशर्कर िेल् कॉलेज में अपिनी ्ेिाएं दे रही डॉ. ्तयजीत की पिुत्रिधू डॉ. ्िाबत रॉय कहती हैं
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मबहलाओं और िच्ों ्े ्िंबधत रोगों को धयान में रखकर तैयार बकया गया है। इ्के रूिन मेमोररयल हॉस्पिटल के िेयरमैन, ्ह प्रिंध बनदेशक डॉ. ्तयजीत ब्ंह कहत े बक डॉ. ्तयजीत ब्ंह अद्त प्रबतभा के धनी वयसति हैं और ्ं्ार में ऐ्े िहुत कम ही
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अलािा बजला ्तर पिर भी हमने 10 ्े 20 िेड तक के िौिी्ों घंटे ्ंिाबलत कई अनय हैं बक मैंने अपिने पिूरे जीिनकाल में अि्र नहीं िसलक िैलेंज को देखा और जो फै्ला उदाहरण बमलेंगे बजनमें िेहतर बिबकत्ा के ्ा् िेहतर प्रिंधन भी देखने को बमले।
अ्पितालों की भी शुरुआत की है बजनमें, नालंदा, राजगीर, गया, अमहारा आबद शाबमल बकया तो बफर पिलट कर कभी पिीछे नहीं देखा। पिटना के जाने माने िरीय अबधितिा ्ि.
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हैं और इन ्भी अ्पितालों में फाम्ी के अलािा एमिलें् की भी ्ुबिधाएं उपिलबध बिंताहरण ब्ंह के पिुत्र डॉ. ्तयजीत ब्ंह की बगनती उच् कोबट के ्माज्िी ्ेिी आईआईटी बदल्ी ्े पिढ़े और लंदन ्ककूल ऑफ बिजन् ्े एमिीए और ितजिमान
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हैं। बजलों में ््ाबपित इन अ्पितालों में आए मरीजों के बलए ्भी ्ुबिधाएं तो मौजूद हैं के रूपि में भी की जाती है, बजनहोंने ्ाल 1929 में बिहटा के राघोपिुर में ््ाबपित ्िामी में लंदन की प्रब्द् “कोर” कंपिनी में िाइ् प्रेब्डेंट के पिद पिर कायजिरत डॉ. ्तयजीत
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लबकन गंभीर िीमाररयों को धयान में रखकर बजले में ््ाबपित इन ्भी अ्पितालों को ्हजानंद ्र्िती ्ीताराम आश्रम को एक नया रूपि बदया। बिगत ्ाढ़े तीन िर्षों ्े इ् ब्ंह के छोटे पिुत्र अबभजीत ब्ंह और अमेररका के बकंग् कॉलेज के बशक्षा प्रिंधन
पिटना के पिाटबलपिुत्र कॉलोनी स््त रूिन हॉस्पिटल के मुखयालय ्े जोड़ बदया गया है आश्रम के ्बिि के तौर पिर अपिनी ्ेिा दे रहे डॉ. ब्ंह कहते हैं बक मैंने अपिने बपिता की बिभाग में ्ेिाएं दे रहीं डॉ. ्तयजीत ब्ंह की पिुत्रिधू अबिजिता झा फोन पिर हुई िातिीत
ताबक ्ही िति पिर मरीजों का ्मबित इलाज बकया जा ्के। याद में इ् आश्रम का न केिल जीणणोद्ार बकया िसलक यहां पि्तकालय, बक्ान ्लाह के दौरान कहती हैं बक पिापिा ने बक्ी कॉलेज ्े एमिीए की बडग्ी तो नहीं ली लबकन
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केंद्र एिं ्िामी जी ्े ्िबधत ्भी बलरिेिर को पिूरी बहफाजत के ्ा् रखने की ऐ्ी प्रिंधन की ्मझ ऐ्ी की लोग हैरत में पिड़ जाएं।
नब्िंग कॉलेज और कॉलेज ऑफ पिैरामबडक् पिर पिूछे गए एक ्िाल के जिाि में वयि््ा कायम की जा रही है, बज्े देखने लोग दूर-दूर ्े प्रबतबदन आते हैं।
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डॉ. ्तयजीत ब्ंह ने िताया बक इ्ी ्ाल निंिर में हम नब्िंग कॉलेज की ््ापिना इंबडयन मबडकल ए्ोब्एशन और कई अनय प्रमुख ्ं््ाओं द्ारा ्मय ्मय पिर
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पिर काम शुरू करने जा रहे हैं बज्े 2022 तक पिूरा करने का लक्य रखा गया है। इ्के जानकारों का कहना है बक डॉ. ्तयजीत ब्ंह राष्टीय और अंतरराष्टीय ्ममाबनत बकए जा िुके डॉ. ्तयजीत ब्ंह की पितनी डॉ. बिभा ब्ंह का कहना है बक
अलािा ्भी प्रकार के टेसनिबशय् के प्रबशक्षण को धयान में रखकर हमने कॉलेज ऑफ ्तर पिर शाबत कायजिकताजि के तौर पिर भी ्बरिय हैं। डॉ. ब्ंह नोिेल पिी् प्राई् कोरोना के भयािह दौर में हमारा अ्पिताल कोरोना के बखलाफ लड़ाई लड़ रहा ्ा।
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पिैरामबडक् की तैयाररयां शुरू की हैं, बज्े आने िाले 2 िर्षों में पिूरा कर बलया जाएगा। इंटरनेशनल ऑगजिनाइजेशन और इंटरनेशनल बफबजबशयन अगें्ट नयूसलियर िॉर हर तरफ अफरा तफरी और डर का माहौल ्ा। ऐ्े हालात में भी डॉ. ्तयजीत न े
डॉ. ्तयजीत आगे कहते हैं बक पिटना के अबखल भारतीय आयबिजिज्ञान ्््ान यानी ्े ्िबधत इंबडयन डॉकट्जि फॉर पिी् ऐंड डेिलपिमेंट में ितौर िाइ् प्रेब्डेंट लि े डॉकटर होने का फजजि बनभाया और बदन-रात हॉस्पिटल के कमजििाररयों, डॉकट्जि और
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एम् ्े कुछ ही दूरी पिर एनएि 98 के पिा् 11 एकड़ में महगपिुर के नजदीक िनने जा िति ्े अपिनी ्िाएं दे रहे हैं। पिररिार का बजरि करते हुए डॉ. ्तयजीत कहत े मरीजों के ्ा् खड़े रहे ताबक उनहें मोबटिेट बकया जा ्के। डॉ. ब्ंह उ् दौरान
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रहा यह प्रोजेकट कई मायनों में महतिपिूणजि होगा इ्के अलािा एनएि 98 पिर बिहटा हैं बक आज मैं जो कुछ भी हं उ्में पिररिार के लोगों की अहम भबमका है। मेरे कोरोना की पिकड़ में आए बफर ररकिर हुए और पिुनः इ् लड़ाई में शाबमल हो गए। हमें
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्रमेरा रोड के बकनारे रूिन मबडब्टी के नाम ्े एक भवय और बिशाल प्रोजेकट शुरू बपिता ्िगगीय बिंताहरण ब्ंह ्े मुझे अचछे ््कार बमले और मैंने बजंदगी जीने के इ् िात का गिजि है बक डॉ. ब्ंह ने अपिनी जान की पिरिाह न करते हुए न केिल हजारों
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करने की योजना भी अबतम दौर में है। रूिन मबडब्टी पिर पिूछे गए एक ्िाल के तौर तरीकों को उन्े ही ्ीखा। मेरी पितनी डॉ. बिभा ब्ंह मेरी पिढ़ाई को लेकर इं्ानों की जान ििाई िसलक एक डॉकटर होने का फजजि भी अदा बकया।
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जिाि में डॉ. ्तयजीत कहते हैं बक इ् अतयाधबनक अ्पिताल में आने िाले मरीजों को ्दा गंभीर रहीं और मेरी बशक्षा में मुझे न केिल उनका ्ा् बमला िसलक हर पिल
ऑनकोलॉजी और रिां्पलाट की बिश्व्तरीय ्बिधाएं बमलेंगी ्ा् ही जनरल रिीटमेंट उनहोंने मुझे पिढ़ने के बलए प्रररत भी बकया। इतना ही नहीं डॉ. बिभा ने हमारे दोनों िहरहाल, एक ्फल बिबकत्क, ्ामाबजक कायजिकताजि और इंटरप्रनयोर के रूपि
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के अलािा ररहैबिबलटेशन के ्ा् ्पिाइनल ्ेंटर भी उपिलबध होगा। पिुत्रों को ऐ्ी तालीम और ््कार बदए बज््े िे अचछा इं्ान िन पिररिार का में बिखयात डॉ. ्तयजीत ब्ंह के 25 ्ालों के इ् शानदार ्फर में रूिन ग्ुपि ऑफ
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नाम रोशन कर ्कें। भािुक होकर डॉ. ्तयजीत ब्ंह कहते हैं बक मैं अपिने िड़े हॉस्पिटल् आज बज् मुकाम पिर खड़ा है, बनः्ंदेह िो डॉ. ब्ंह के बिजन और िुलंद
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30 बद्िर 1950 को पिटना में जनम डॉ. ्तयजीत ब्ंह की प्रारंबभक बशक्षा पिटना भाई डॉ. (कैपटन) ए.के ब्ंह का ्दि आभारी हं बजनहोंने अपिने बिजन की िदौलत हौ्ले को दशाजिता है। 1600 कमजििाररयों और 166 डॉकट्जि की टीम के ्ा् ्फलतापििजिक
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कॉलबजएट ्ककूल ्े हुई जहां ्तयजीत 8िीं कक्षा तक पिढ़े और ्ाल 1966 में ्तयजीत न े न केिल मेरा ्ही मागजिदशजिन बकया िसलक मुझे िहां ला खड़ा बकया बज्का ्पिना ्िाबलत यह अ्पिताल न केिल करोड़ों मरीजों की आ् है िसलक राजय की अ्जिवयि््ा
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्र गणेश दत्त पिाटबलपिुत्र हाई ्ककूल ्े मबरिक की पिरीक्षा पिा् की। 1967 में ्तयजीत न े कभी उनहोंने देखा ्ा। और रोजगार में डॉ. ्तयजीत ब्ंह की भबमका ्े इंकार नहीं बकया जा ्कता। O
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बिहार नेशनल कॉलेज में प्री यबनिब्टी में दाबखला बलया और इ्ी ्ाल इनका नामांकन
118 डॉ. सत्यजीत ससंह डॉ. सत्यजीत ससंह 119