Page 115 - CTB Hi resolution visioneries of bihar pdf
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श्ामली द्ारा संचाजलत ्ूट्ब चैनल घर िया जया्िया के इस वक्त 8                                                                                                    सुशीला कहती हैं जक श्ामली के भीतर ज़िद और जुनून तो हमने बचपन
                                                                                                                    ू
                                                                                                                                          ू
                                                                                            लाख से अजिक सबसक्ाइबर हैं और 13 करोड़ के आसपास व्ज हैं। साथ                                                                                                    से ही देखा था लजकन बदलते वक्त के साथ वो कहीं दब सा ग्ा था जजससे,
                                                                                                                                                                                                                                                                       े
                                                                                            ही इूंसटाग्ाम पर भी इनहें अब तक 70 हजार से अजिक दश्षकों का साथ                                                                                                बाहर जनकलना शा्द श्ामली के जलए भी आसान न था। शुरुआती जदनों
                                                                                            जमल चुका है।                                                                                                                                                  में श्ामली तीन रेजसपी रिजतजदन ्ाद जक्ा करतीं और उसे अलग तरीके
                                                                                                                                                                                                                                                          से बनाने का रि्ास भी करतीं। कुछ सम् बाद श्ामली ने एबीसी कुजकंग
                                                                                              भारती् जनता पाटटी से तीन बार लोकसभा सांसद रहे श्ामली के जपता                                                                                                क्ास के नाम से सव्ं का एक रिजशषिण संसथान शुरू जक्ा। इस सब के पीछे
                                                                                            ईश्वर चौिरी की 15 मई 1991 को जबहार के ग्ा में हत्ा कर दी गई थी। उस                                                                                            श्ामली की एक ही तममन्ना थी और वो थी, सटार पलस पर रिसाररत हो रहे
                                                                                            वक्त श्ामली महज 9 साल की थीं। कमजोर आजथ्षक हालात के बीच श्ामली                                                                                                िारावाजहक मासटर शेफ में शाजमल होकर संजीव कपूर तक पहुूंच बनाना और
                                                                                            की मां नागेश्वरी देवी ने अपने सभी बच्ों को अचछी तालीम जदलाई। बाद में                                                                                          कुछ बेहतर और अलग करना।
                                                                                            श्ामली ने घर-घर जाकर ट्शन पढ़ाना शुरू जक्ा। ग्ा जजले के सरकारी
                                                                                                                 ू
                                                                                            रिाथजमक सककूल में जशजषिका रह चुकी श्ामली का जववाह 2009 में भारती्                                                                                                2016 में जबग मैजजक चैनल पर रिसाररत होने वाले का््षक्म ‘रसोई की रानी’
                                                                                            सटेट बैंक के अजिकारी श्ीजनवास नारा्ण के साथ संपन्न हुआ और सरकारी                                                                                              में जब श्ामली जवनर हुईं तब चैनल द्ारा उनहें मुंबई आने का जनमंरिण जमला।
                                                                                            नौकरी का त्ाग कर श्ामली पटना आ गईं। होममेकर रहते हुए श्ामली में                                                                                               मुंबई में चैनल द्ारा आ्ोजजत भव् शो में भारत के जाने-माने शेफ ररपु दमन
                                                                                            कुछ बड़ा करने की चाहत थी ऐसे में बड़ी बहन सुशीला ने श्ामली को रासता                                                                                             हां्डा ने श्ामली के काम को सराहा और श्ामली इस शो में एक बार जफर
                                                                                            जदखा्ा और श्ामली ने मासटरशेफ बनने का फैसला जल्ा। एबीसी कुजकंग                                                                                                 जवनर हुईं। श्ामली कहती हैं जक इस शो में जमली सफलता के बाद मुझे कुजकंग
                                                                                            क्ास का सफलतापूव्षक संचालन कर चुकीं श्ामली ने जबग मैजजक चैनल                                                                                                  शो से संबंजित काम के कई बड़े ऑफर जमले लेजकन पररवार को छोड़ मुंबई में
                                                                                            द्ारा आ्ोजजत कुजकंग शो ‘रसोई की रानी’ में रिजतभागी के तौर पर जशरकत                                                                                            काम करना मेरे जलए आसान न था। मुझे वापस पटना लौटना पड़ा।
                                                                                            की और जवनर भी रहीं। उपरोक्त चैनल द्ारा सभी जवजेताओं को फाइनल
                                                                                            राउूं्ड के जलए जफर मुंबई आमंजरित जक्ा ग्ा जहां, रिजसद्ध मासटर शेफ ररपु                                                                                           जानकार बताते हैं जक जबहार जैसे राज् में कुजकंग व्वसा् को रिमोट
                                                                                                                          ं
                                                                                            दमन हां्डा श्ामली द्ारा तै्ार लजीज व्जनों के का्ल हुए और श्ामली                                                                                               करने के जलए न तो जकसी रिकार की सरकारी ्ोजना है न ही इसके
                                                                                            एक बार जफर इस शो की जवनर बनीं।                                                                                                                                रिोमोशन से संबजित इवेंट की व्वसथा। रिदेश में ्ह व्वसा् आज हाजशए
                                                                                                                                                                                                                                                                      ं
                                                                                                                                                                                                                                                          पर खड़ा है। बाहर के रिदेशों में इस जवर् की पढ़ाई और रिजशषिण की अचछी
                                                                                              भारती् जनता पाटटी के वररष्ठ नेता और जबहार के ग्ा से तीन बार                                                                                                 व्वसथा है और इसके दम पर लोग अचछी नौकरी भी हाजसल कर लेते हैं
                                                                                            लोकसभा के सदस् रहे सव. ईश्वर चौिरी और सव.नागेश्वरी देवी की पुरिी                                                                                              लजकन जबहार की इस बेटी ने आज जजस रिकार कुजकंग क्ास और इसस  े
                                                                                                                                                                                                                                                            े
                                                                                            श्ामली का जनम देश की राजिानी जदल्ी में हुआ। श्ामली के जपता उन                                                                                                 संबजित रिजशषिण जलए बगैर सजलजरिटी शेफ तक का जो सफर त् जक्ा है
                                                                                                                                                                                                                                                             ं
                                                                                                                                                                                                                                                                                े
                                                                                            जदनों सांसद थे। जपता को जमले सरकारी बंगले में ही पूरा पररवार रहता था।                                                                                         वो काजबले-तारीफ है।
                                                                                            श्ामली की रिारूंजभक जशषिा जदल्ी के गोल माककेट लसथत केंद्ी् जवद्ाल्
                                                                                            से हुई लेजकन मई 1991 में षिेरि भ्रमण के दौरान श्ामली के जपता की हत्ा                                                                                             श्ामली नारा्ण कहती हैं जक पजत और बच्ों के अलावा मैं खुद की
                                                                                            के बाद पूरा पररवार वापस मानपुर लौट आ्ा और इसके साथ ही शुरू हुआ                                                                                                जजंदगी भी जीना चाहती थी। बगैर ज्डग्ी शेफ बनना मलशकल था। अपनी जछपी
                                                                                                                                                                                                                                                                                                 ु
                                                                                            संघर्ष और तकलीफों का जसलजसला। 1995 में ग्ा के एक जनजी जवद्ाल् से                                                                                              पहचान को दजन्ा के सामने लाने की मेरी ज़िद मुझ पर इस कदर हावी रही
                                                                                                                                                                                                                                                                    ु
                                                                                            मैजरिक की परीषिा पास करने के बाद श्ामली का दाजखला ग्ा के रिजसद्ध                                                                                              जक सब कुछ ऐसे बदलता चला ग्ा जक पता ही नहीं चला। श्ामली कहती
                                                                                            मजहला कॉलेज में हुआ और इसी महाजवद्ाल् से आईएससी करने के बाद                                                                                                   हैं अगसत 2017 में जब मैंने श्यामली किचन नाम से अपने ्ूट्ूब चैनल की
                                                                                            2005 में श्ामली ने इजतहास में ऑनस्ष जक्ा।                                                                                                                     शुरुआत की थी, तो उस वक्त 100 वीज्ड्ो अपलो्ड जकए जाने तक हमारे न
                                                                                                                                                                                                                                                          तो कोई व्ज थे न सबसक्ाइबर। पड़ोजस्ों के जमलते तानों के बीच ्जद मेरे
                                                                                                                                                                                                                                                                  ू
                                                                                              पररवार की खराब माली हालत को देखते हुए श्ामली ने लंबे वक्त                                                                                                   पास कुछ था, तो वो था पररवार का साथ और सफल होने की ज़िद। इनहीं
                                                                                                      ू
                                                                                            तक जनजी ट्शन का सहारा जल्ा और आजखरकार उनहें ग्ा के गवन्षमेंट                                                                                                  रासतों पर चलते हुए आज हमारे चैनल के 12 लाख से अजिक सबसक्ाइबर
                                                                                            रिाइमरी सककूल में बतौर जशजषिका पढ़ाने का अवसर जमला। श्ामली के पजत                                                                                              और 24 करोड़ से अजिक व्ज हैं। 2018 में श्ामली नारा्ण ने ‘घर का
                                                                                                                                                                                                                                                                              ू
                                                                                            श्ीजनवास कहते हैं जक होममेकर के तौर पर श्ामली ने इस पररवार के जलए                                                                                             जा्का’ नाम से एक अन् चैनल की भी शुरुआत की। अभी इस चैनल ने 8
                                                                                            जो कुछ भी जक्ा उसे शबदों में कभी ब्ां नहीं जक्ा जा सकता। हमारे                                                                                                लाख सबसक्ाइबर के साथ 13 करोड़ दश्षकों तक अपनी पहुूंच बना ली है और
                                                                                            दोनों बेटों रिभात रूंजन और राहुल रूंजन के अलावा हमारी लाड़ली मानसी                                                                                             लगातार इसकी संख्ा में इजाफा हो रहा है।
                                                                                                                  ु
                                                                                            जरि्ा की हर छोटी से छोटी खजश्ों का ख्ाल जक्ा है हमारी श्ामली ने।
                                                                                            सालों से हम सभी ्े महसूस कर रहे थे जक श्ामली अपने अंदर की रिजतभा                              श्यामली किचन पर एक सवाल के दौरान श्ामली कहती हैं, मैं इसका सारा    करछी और कढ़ाही को अपना हजथ्ार बना चुकीं श्ामली नारा्ण कहती
                                                                                                ु
                                                                                            को दजन्ा के सामने लाने को बैचैन है। ऐसे में हम सभी ने उसे सह्ोग                             श्े् अपनी बड़ी बहन सुशीला नारा्ण, मेरे पजत श्ीजनवास नारा्ण और अपन  े  हैं, “मजहलाओं के अंदर एक जछपी हुई शलक्त है। ्जद कोई गृजहणी कुछ करने की
                                                                                            करने का फैसला जक्ा। श्ीजनवास आगे कहते हैं जक श्ामली ने कैमरे के                             पररवार के सदस्ों को देना चाहूंगी जजनके माग्षदश्षन ने मुझे इस मुकाम तक   ठान ले तो उसके जलए कुछ भी नामुमजकन नहीं। मैं अपने करोड़ों दश्षकों से ्ही
                                                                                                                       ं
                                                                                            सामने घंटों खड़े होकर कुजकंग से संबजित कई एजपसो्ड त्ार जकए लजकन                              पहुूंचा्ा। श्ामली की बहन सुशीला नारा्ण जानती थीं जक श्ामली की सवाजदष्ट   कहना चाहूंगी जक जीत का असली मजा तो तब ही है, जब सब आपके हारने का
                                                                                                                                      ै
                                                                                                                                              े
                                                                                                                                                                                              ै
                                                                                            लंबे सम् तक उनहें सफलता हाथ नहीं लगी। लजकन हमने कभी उनहें                                   व्ंजन त्ार करने में गहरी रुजच है। सुशीला ने उन जदनों सटार पलस पर रिसाररत   इतजार कर रहे हों और आप उनहें जीत कर जदखाएं। न जसफ्फ जीत कर जदखाएं
                                                                                                                               े
                                                                                                                                                                                                                                                           ूं
                                                                                            जनराश होते नहीं देखा शा्द उनहें खुद पर पूरा एतबार था। ्ही वजह है                            हो रहे िारावाजहक मासटर शेफ की ओर श्ामली का ध्ान खींचा। सुशीला चाहती   बल्क ्े जीत सथा्ी हो। जो व्लक्त शलक्त न होते हुए भी मन से नहीं हारता,
                                                                                            जक उनकी ज़िद के आगे वक्त ने भी घुटने टेक जदए और आज मुझे अपनी                                थीं जक श्ामली टेलीजवजन पर जदखें। श्ामली ने भी जागती आंखों से सपना   उसे दुजन्ा की कोई ताकत कभी नहीं हरा सकती।” वे आगे कहती हैं, “मैं रहूं
                                                                                            पतनी पर गव्ष है।                                                                            देखना शुरू कर जद्ा और देखते ही देखते सुशीला और श्ामली का ्ह सपना   ्ा न रहूं लेजकन मेरा काम, मेरा चेहरा, मेरे व्जनों की जवजि्ों के रूप में और
                                                                                                                                                                                                                                                                                          ं
                                                                                                                                                                                        हकीकत में तबदील हो ग्ा।
                                                                                                                                                                                                                                                          आवाज के रूप में मैं सदैव आपके साथ रहूंगी।” O
                       114   श्यामली नयारया्ण                                                                                                                                                                                                                                                      श्यामली नयारया्ण  115
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