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आयकर सरिाग में िा्ारण क्लक्क की नौकरी िे आयकर आयुक्त िक का िफर                                                                                                गरीिों के सलए िारि सकाउट ऐंड गाइड के प्रांगण में ओपीडी की िी शुरुआि की।
                                                                                                                                                                                                                                                े
                                                                                                                                                                                                                                े
                        िय करने राले शैलेश के सपिा िी.पी.सिन्ा पढ़ाई के म्तर को िखूिी िमझिे थे।                                                                                          इिके अलारा नयू पटना क्लि में आयोसजि सरशाल मेगा ््थ चेकअप कैंप का श्य
                        उन्ोंने अपने ििी िच्ों को अच्ी िालीम देने की ठानी िासक सशक्ा के दीपक िे                                                                                         िी इन्ीं को जािा ्ै।
                                                                                                                                                                                                                                          े
                        रे अपने और परररार का नाम रोशन कर िकें। िी.पी.सिन्ा के पांच िच्ों में िििे                                                                                         लायंि क्लि के पुराने िदसय रसरशंकर सिन्ा क्िे ्ैं सक िमाज िरा डॉ.
                        िड़े पुत्र अरसरंद सिन्ा एयर इंसडया के अरकाश प्राप्त रररष्ठ अस्कारी ्ैं िो मंझले                                                                                  शैलेश सिन्ा के खून में ्ै। य्ी रज् ्ै सक इनके काम और िमप्वण को देखिे हुए
                                                              े
                        पुत्र पी.के.सिन्ा टाटा मोटि्व में जनरल मैनेजर र्िे िरासनरृत्त हुए। दोनों पुसत्रयों,                                                                             1998-99 में उन्ें लायंि क्लि सजला 322 ई के ितकालीन सजलापाल अनूप सिं् द्ारा
                                                      े
                        सरिा सिन्ा और जया सिन्ा ने िी पोसट ग्जुएशन िक सशक्ा ्ासिल की और सपिा                                                                                            िेसट प्रेसिडेंट और िेसट क्लि के अलारा लॉयन ऑफ द ईयर की उपास् िे िी
                        का मान िढ़ाया। इ्र कॉलेज में आयोसजि िॉटनी ऑनि्व के िाथ िी.एि.िी की                                                                                               नराजा गया। य् रो दौर था जि िमाजिरा का नशा डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा के
                                                                                                                                                                                                                     े
                        परीक्ा में शैलेश कॉलेज में 1972 िैच टॉपर िने और इिी िाल अगसि मा् में उन्ोंने                                                                                    िर चढ़कर िोल र्ा था। ऐिे में 90 के दशक और सफर उिके िाद के आने राले
                        पी.एम.िी.एच यानी पटना मेसडकल कॉलेज एरं असपिाल में दासखला सलया। िाल                                                                                              कई िालों में इन्ें जोन चैयरमेन, रीजन चेयरमेन, सडखसरिकट चेयरपि्वन िनाया गया
                        1978 में शैलेश ने इिी कॉलेज िे एमिीिीएि की सडग्ी ्ासिल की और डॉकटर िन                                                                                           और सफर देखिे ्ी देखिे 2004-05 में डॉ. शैलेश सिन्ा सजला 322 ई के सडखसरिकट
                        मां-सपिा के िपने को िाकार सकया। पी.एम.िी.एच िे इंटन्वसशप और ्ाउिमैनसशप                                                                                          गरन्वर िनाये गए।
                        करने के पश्ाि डॉ.शैलेश ने 1981 में सि्ार िरकार के सरास्थय सरिाग में अपना                                                                                          उनके परररार के िदसय क्िे ्ै सक इंिान यसद कु् पाना चा्िा ्ै िो उिे कु्
                        योगदान सदया। िाल 1983-85 में डॉ. सिन्ा ने पटना मेसडकल कॉलेज एरं असपिाल                                                                                          खोना िी पड़िा ्ै। ऐिा ्ी कु् डॉ.िा्ि के िाथ िी हुआ। िमाज िेरा की िदौलि
                        िे एमएि की सडग्ी ्ासिल की और 1985 िे 90 िक पटना खसथि इंसदरा गां्ी                                                                                               उन्ें गरीिों की दुआएं और प्चान िो समली लेसकन अपने प्रोफेशन में उन्ें िारी
                        आयुसर्वज्ञान िंसथान के मूत्र रोग सरिाग िे सरशेष प्रसशक्ण ्ासिल सकया।                                                                                            नुकिान उठाना पड़ा। िमाज और परररार िे ग्रे जुड़े डॉ. एि.के.सिन्ा ने अपने
                                                                                                                                                                                        िच्ों की सशक्ा और िुरक्ा को िैदर प्राथसमकिा दी और एक सजममेदार सपिा का
                          एक िफल यूरोलॉसजसट िनने की चा्ि सलए िाल 1991 में आई.जी.आई.एम.एि                                                                                                फज्व सनिाया। सिंगापुर िे इंटीररयर डेकोरेशन की सशक्ा ्ासिल कर चुकी डॉ. शैलेश
                                                                                                                                                                                                                                         ै
                        िे डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा नालंदा मेसडकल कॉलेज असपिाल के जनरल िज्वरी                                                                                              की पुत्री श्ीया सिन्ा सररा्ोपरांि अपने पसि औिाफ के िाथ िफल ररास्क जीरन
                                                                                                                                                                                                              े
                                                  ं
                        सरिाग पहुंचे और कु् मा् की पोखसटग के उपरानि ििौर िीसनयर रेसजडेंट पी.एम.                                                                                         वयिीि कर र्ी ्ैं। दूिरे पुत्र श्यम सिन्ा एमिटड्डम में ििौर आईटी इंजीसनयर
                        िी.एच में अपना योगदान सदया। िाल 1992 में पटना मेसडकल कॉलेज एरं असपिाल                                                                                           काय्वरि ्ैं। इन दोनों के अलारा डॉ. शैलेश और डॉ. ममिा सिन्ा के िीिरे पुत्र
                        के यूरोलॉजी सरिाग में रसजसरिार के पद पर इनकी सनयुखक्त कर दी गई। रसजसरिार                                                                                        िाथ्वक सिन्ा दिरीं कक्ा के ्ात्र ्ैं और िसरषय में डॉकटर िनने का इरादा रखिे
                                          े
                        के पद पर दो िाल की िरा देने के उपरानि राजय िरकार द्ारा िाल 1994 में                                                                                             ्ैं। िािचीि के क्रम में िारुक ्ोकर डॉ. शैलेश के िड़े िाई अरसरंद सिन्ा क्िे
                        पदोन्नसि के िाथ उन्ें ि्ायक प्राधयापक की सजममेदारी दी गई। सफल्ाल रे पटना                                                                                        ्ैं सक ्मारी मां सर. कमला सिन्ा एक कुशल गृ्णी ्ोने के अलारा ि्द अच्े
                                                                                                                                                                                                                                         े
                        मेसडकल कॉलेज एरं असपिाल के मूत्र रोग सरिाग में ििौर ि्-प्राधयापक काय्वरि                                                                                        सरचारों राली दूरदशशी मस्ला थीं। उन्ोंने पूरे परररार को एक िूत्र में िां् कर रखा।
                        ्ैं। डॉ.शैलेश ििािे ्ैं सक नौकरी के िमय िे ्ी रे अपने सरषय यूरोलॉजी में उच्                                                                                     आज रे इि दुसनया में न्ीं ्ैं लेसकन उनकी यादें िदा ्मारे िाथ ्ैं।
                        सिरीय प्रसशक्ण ्ासिल करना चा्िे थे। इिके सलए रे 1998 में इंगलैंड पहुंचे और                                                                                        पुराने सदनों को याद कर डॉ. ममिा सिन्ा क्िी ्ैं डॉ. शैलेश उच् कोसट के
                                                                                                                                                                                                       ं
                                                                                                                                                                                                 े
                        र्ां के प्रसिद्ध असपिाल में िीन म्ीने र्कर उच् सिरीय प्रसशक्ण ्ासिल कर                                                                                          रक्ता और ि्िर प्रि्क और अपने इरादे के पकके ्ैं। मैंने सजिना िी उन्ें िमझा
                        िफल यूरोलॉसजसट िने। लंदन िे प्रसशक्ण ्ासिल करने के उपरानि आने राले                                                                                              ्ै उि आ्ार पर यकीन के िाथ क् िकिी ह सक उन्ें खुद िे जयादा दूिरों की
                                                                                                                                                                                                                         ं
                                         ं
                                          ं
                        िमय में यूरोलॉजी िे ििस्ि ििी प्रकार की िज्वरी को िारीकी के िाथ करने में                                                                                        सफक्र र्िी ्ै।
                                                                                                                                                                                                                          ं
                        उन्ें जो िफलिा समली उिने मरीजों आकसष्वि सकया।                                                                                                                     जानकार ििािे ्ै सक डॉ. िा्ि के कुशल प्रि्न का अंदाजा उनके दो   िंचासलि सकया जािा ्ै, सजिमें ररयािी दरों पर गरीिों की जांच की जािी ्ै। आदश्व
                          िािचीि के क्रम में डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा क्िे ्ैं सक “मेरी शादी 1986 में डॉ.                                                                                  आयोजनों िे ि्ज ्ी लगाया जा िकिा ्ै। प्ला, सडखसरिकट गरन्वर र्िे   असपिाल प्रि्न का क्ना ्ै सक असपिाल के प्रांगण में िी.पी.सिन्ा मेमोररयल मुफि
                                                                                                                                                                                                                                                                 ं
                        ममिा सिन्ा के िाथ हुई। रो न केरल मेरी पतनी ्ैं िख्क एक अच्ी दोसि ्ोने के                                                                                        इंटरनेशनल राइि प्रेसिडेंट लॉयन अशोक मे्िा और दूिरा इंटरनेशनल डायरेकटर   डाइसिसटक खक्लसनक िी िंचासलि करिा ्ै, ज्ां जाने-माने सचसकतिक डॉ. आर.पी.
                        अलारा एक कुशल सचसकतिक िी ्ैं। पी.एम.िी.एच िे ऑनि्व की उपास् के िाथ                                                                                              लॉयन ए.पी.सिं् के पटना आगमन के दौरान उनका िवय सरागि और पटना के   सिन्ा िप्ता् में एक सदन सनशु्क िरा देिे ्ैं।
                                                                                                                                                                                                                                                                                 े
                        एम.िी.िी.एि और स्ािकोत्तर की परीक्ा में अवरल सथान प्राप्त कर चुकी डॉ. ममिा                                                                                      लसलि नारायण समसथला यूसनरसि्वटी में आयोसजि िवय सडखसरिकट कनरेंशन काय्वक्रम   डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा और उनकी पतनी डॉ. ममिा सिन्ा का क्ना ्ै सक
                        के काम करने का अंदाज सिलकुल अलग ्ै। मरीजों की िमुसचि देखिाल, उनके                                                                                               अपने आप में काफी कु् ियां करिा ्ै। उि आयोजन को रषगों िीि चुके ्ैं लेसकन   आदश्व असपिाल को रासिर में ऐिा रूप सदया गया ्ै सक गरीि िे गरीि मरीज िी
                        प्रसि िमप्वण का िार और नाम्वल सडलीररी यानी िामानय प्रिर को िरजी् देने के                                                                                        लायंि के िदसयों को रो पल आज िी न्ीं िूलिा ्ै।                   इि असपिाल में इलाज कराने के िारे में िोच िकिा ्ै। असपिाल के पररिर में
                        कारण ्ी उन्ोंने अपनी अलग प्चान िनाई ्ै।                                                                                                                           िाल 2005 में ितकालीन इंटरनेशनल रॉइि प्रेसिडेंट के पटना आगमन के अरिर   लायंि सरजन केयर िी िंचासलि ्ै, ज्ां लायंि क्लि द्ारा गरीिों का सनशु्क
                          जानकार ििािे ्ै सक िाल 1991 में डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा और उनकी पतनी                                                                                            पर डॉ. शैलेश द्ारा िदसयों के सलए एक मेगा इंडकशन का आयोजन सकया गया था,   मोसियसिंद ऑपरेशन सकया जािा ्ै। िाथ ्ी इि असपिाल की ऊपरी मंसजल पर
                        ममिा सिन्ा ने पटना के कंकड़िाग खसथि कॉलोनी मोड़ के शालीमार सरीटि के                                                                                               सजिका मकिद िदसयों की िंखया में इजाफा करना था। ऐिे में लायन डॉ. शैलेश   शीघ्र ्ी इनफसट्डसलटी यानी आई.री.एफ की िसर्ा िी उपलब् कराई जाएगी।
                                                                                                                                                                                                                                                                                        ु
                        पाि सकराये के एक घर िे अपनी सनजी असपिाल की शुरुआि की सजिका नाम                                                                                                  280 लोगों को िदसयिा सदलाने में िफल र्े थे। सडखसरिकट गरन्वर र्िे हुए उन्ोंने   जानकार ििािे ्ैं सक कोरोना की प्ली और दूिरी ल्र के िीच डॉ. शैलेश ने
                        रखा, आदश्व ्ॉखसपटल।                                                                                                                                             पटना के जगदेर पथ की एक िहुमंसजली इमारि में लायन सरजन केयर की िी   पीसड़ि मरीजों की सदल खोलकर मदद की और अपनी प्चान की िदौलि दज्वनों
                                                                                                                                                                                                                  ं
                          डॉ. ममिा सिन्ा क्िी ्ैं सक उनके ििुर सर. िी.पी.सिन्ा शुरू िे ्ी लायंि                                                                                         सथापना की थी, सजिे लायंि क्लि प्रि्न द्ारा 2017 में डॉ. शैलेश द्ारा िंचासलि   जरूरिमंद मरीजों के सलए न केरल सरसिन्न असपिालों में िेड और ऑकिीजन की
                        क्लि के िदसय थे और िमाजिरा में उनकी ग्री रूसच थी। सपिा िे समली प्रेरणा                                                                                          आदश्व ्ॉखसपटल में सथानांिररि कर सदया गया ्ै। य्ां प्रदेश के गरीिों को सनशु्क   वयरसथा कराई िख्क प्ि ऑकिीमीट, मासक, गलवि आसद का िी िड़े पैमाने पर
                                               े
                        की िदौलि डॉ. िा्ि ने लायंि क्लि की िदस्यिा ली और 1998 में लायंि क्लि                                                                                            सचसकतिा उपलब् कराई जा र्ी ्ै।                                   सरिरण सकया।
                        ऑफ पटना मौया्व के अधयक् र्िे इंगलैंड के िरसमंघम में आयोसजि इंटरनेशनल                                                                                              िाल 2011 में डॉ. शैलेश ने अपने पांचों िाई-ि्नों और पतनी के ि्योग िे   सि्ार के जाने-माने िमाजिरी और प्रखयाि यूरोलॉसजसट डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा
                                                                                                                                                                                                                                                                              े
                        कनरेंशन में स्सिा सलया। ििौर अधयक् अपने एक िाल की अरस् में उन्ोंने करीि                                                                                         कंकड़िाग खसथि अपने आदश्व ्ॉखसपटल को नया रूप देना का सनण्वय सलया और   क्िे ्ैं, सक सचसकतिा के प्रोफेशन ने उन्ें जो पयार और िममान सदया ्ै, उिका श्य
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 े
                        500 प्रोजेकट सकए, सजनमें िमाज के सरसिन्न रगगों के लोगों के अलारा गरीिों की                                                                                      म्टी िुपर सपेशसलटी असपिाल की शुरुआि की। इि नरसनसम्वि असपिाल में   रे अपने गुरु डॉ. एि.एि अमिष्ठ और डॉ. असखलेश्वर प्रिाद सिन्ा को देना चा्ेंगे।
                                                                                                                                                                                                                                ु
                        मदद पर सरशेष धयान सदया। लायंि क्लि के कई िदसय ििािे ्ै सक डॉ. शैलेश ने                                                                                          लेप्रोसकोपी, यूरोलॉजी, एंड्ोलॉजी और ज्ञानकोलॉजी की िसर्ा उपलब् ्ै। इिके   उनकी िदौलि ्ी उन्ें सशक्ा समली और प्रेरणा के िाथ आशीरा्वद समला। इन ििकी
                        न केरल अपने कंकड़िाग खसथि खक्लसनक पर ऑकिीजन िैंक की सथापना की िख्क                                                                                               अलारा इि असपिाल में कमला सिन्ा पैथोलॉजी ऐंड अ्रिािॉउंड िेंटर िी   िदौलि रे खुद को सिद्ध कर िके। O
                       110   डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा                                                                                                                                                                                                                                             डॉ. शैलेश कुमार सिन्ा  111
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