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2019 में हुए लोकसभा चुनाि में सीतामढ़ी लोकसभा क्ेत् से एनडीए (जदयू ) द्ारा
                                                                                       डॉ. िरुण को प्रतयाशी बनाया गया लेवकन वचवकतसा के प्रवत समवपतात डॉ. िरुण ने
                                                                                       चुनाि लड़ने से इंकार कर वदया।

                                                                                          गोली लगने से घायल मरीजों की सजतारी में डॉ. िरुण की सफलता का
                                                                                       प्रवतशत 100 है। यानी उनके अ्पताल में आया ऐसा कोई भी मरीज अब तक
                                                                                              ु
                                                                                       मौत के मंह में नहीं गया है। इस मामले में उनकी सफलता को देखते हुए ही
                                                                                       उनहें ‘गोली डॉकटर’ कहकर पुकारा जाने लगा है। 15 जनिरी 1976 को जनम  े
                                                                                       डॉ. िरुण ने एमबीबीएस की पढ़ाई वकंग जॉजता मवडकल कॉलेज, लखनऊ स  े
                                                                                                                           े
                                                                                       की। एमएस की पढ़ाई कानपुर के जीएसिीएम मवडकल कॉलेज से करने के बाद
                                                                                                                           े
                                                                                       डॉ. कुमार ने हलद्ानी में नौकरी शुरू की | िहां सीवनयर रेवजडेंट और सहायक
                                                                                       प्रोफेसर के रूप में काम करने के दौरान उनका जीिन काफी आराम से चल
                                                                                       रहा था परंतु खुद डॉ. िरुण और उनके वपता महेश प्रसाद लोगों को गोली लगन  े
                                                                                       से होने िाली मौतों की खबरों को देखकर वयवथत रहा करते थे। महेश प्रसाद
                                                                                       कहते हैं वक 2014 से पहले सीतामढ़ी में ऐसा कोई अ्पताल नहीं था जहां गोली
                                                                                       लगने से घायल हुए लोगों का इलाज हो पाता, ऐसे में मरीजों को मुजफफरपुर
                                                                                       के श्ी कृषण मवडकल कॉलेज एिं अ्पताल या वफर पटना मवडकल कॉलेज एि  ं
                                                                                                  े
                                                                                                                                   े
                                                                                       अ्पताल भेजना ही उपाय था। अकसर ऐसा देखा जाता था वक ऐसे मरीजों की
                                                                                       रा्त में ही मौत हो जाती थी। ऐसे में महेश प्रसाद ने अपने पत् डॉ. िरुण स  े
                                                                                                                                    ु
                                                                                           े
                                                                                       कहा वक िे अपने सजतान होने का लाभ अपने वजले के लोगों तक पहुंचाएं और ऐस  े
                                                                                       मरीजों की मदद करें। ऐसे मामले डॉ. िरुण को भी परेशान कर रहे थे इसवलए
                                                                                       उनहोंने अपनी आरामदायक नौकरी तयागकर सीतामढ़ी में ही नए वसरे से संघरता
                                                                                       करने का फैसला वकया। आवखरकार साल 2009 में डॉ. िरुण ने सीतामढ़ी के
                                                                                       डुमरा रोड इलाके में एक घर वकराए पर लेकर वसफ्फ छह लोगों के साथ अपन  े
                                                                                       अ्पताल की शुरुआत की और अगले चार साल यानी 2013 तक यहीं से काम
                                                                                       करते रहे। लंबे संघरता के बाद उनकी पहचान कावबल सजतान के रूप में तो बनी
                                                                                       लवकन िे जो सपना लेकर सीतामढ़ी आए थे, िह अभी भी पूरा नहीं हो सका था।
                                                                                         े
                                                                                                                                           ु
                                                                                       आरंभ में डॉ. िरुण कुमार के पास संसाधन की भी कमी थी ऐसे में आधवनक
                                                                                       उपकरणों से लैस एक बड़े अ्पताल की िे जरूरत महसूस कर रहे थे।
                                                                                                                                                                                                                                                                                                           ू
                                                                                                                                                                                        जाने बचाई हैं। एक जनरल एिं लेप्रो्कोवपक सजतान होने के नाते डॉ. कुमार के पास   चुनौतीपणता काम है और इस चुनौती को अभी तक डॉ. िरुण ने सफलतापिताक पूरा
                                                                                                                                                                                                                                                             ू
                                                                                          आवखरकार 2014 में सीतामढ़ी में िततामान ्थल पर नंदीपत मेमोररयल हॉस्पटल                           सजतारी के दूसरे मामले भी आते रहते हैं और उनहोंने अब तक अलग-अलग िजहों से   वकया है। डॉ. िरुण को गलोबल हेलथ ्टडीज नययोक्फ ने ब्ट सजतान के अिॉड्ड
                                                                                                                                                                                                                                                                                                 े
                                                                                                                                                                                                                                                                                          ू
                                                                                       ऐंड ररसचता सेंटर अस्तति में आया। इसी दौरान नेपाल में मधेसी आंदोलन भड़क उठा,                       जखमी 500 से अवधक मरीजों का सफलतापूिताक इलाज वकया है। बातचीत के क्रम में   से निाजा है। इसके अलािा वचवकतसा के क्ेत् में इनकी उपलस्धयों को धयान
                                                                                       आंदोलन के दौरान एक वदन पुवलस तथा मधेवसयों के बीच हुई झड़प में 17 लोग                              डॉ. कुमार कहते हैं, हमारे इस वमशन की सफलता में मेरी पतनी डॉ. श्ता का मुझे हर   में रखकर साल 2019 में मंबई में आयोवजत गलोबल एकसीलेंस अिॉरसता के वलए
                                                                                                                                                                                                                                         े
                                                                                                                                                                                                                                                                          ु
                                                                                       घायल हो गए वजनमें 14 लोगों को पुवलस की गोवलयां लगीं। इन सभी 14 लोगों को                          पल साथ और सहयोग वमलता है। डॉ. श्ता प्रसूवत, ्त्ी एिं वनःसंतानता रोग विशेरज्ञ   डॉ. िरुण का चयन हुआ और वफलम अवभनेत्ी माधुरी दीवक्त के हाथों भी इनहें
                                                                                                                                                                                                                    े
                                                                                       डॉ. िरुण के नंदीपत अ्पताल लाया गया और डॉ. िरुण कुमार ने एक ही वदन में                            हैं साथ ही डॉ. श्ता नंदीपत अ्पताल का सारा प्रबंधन संभालने के अलािा अपना   सममावनत वकया गया।
                                                                                                                                                                                                    े
                                                                                       इन सभी लोगों की सजतारी कर गोवलयां वनकाल उनकी वजंदगी बचा ली। इस घटना                              पूरा घर भी संभालती हैं।
                                                                                       के बाद उनका नाम पूरे इलाके में चमका और वफर डॉ. िरुण ने कभी पीछे मुड़कर                                                                                              डॉ. िरुण कुमार की समाजसेिा में भी गहरी वदलच्पी है। हर साल िे छठ पूजा
                          2009 में वकराए के कमरे से छोटी सी शुरुआत कर और कई सालों तक संघर  ता  नहीं देखा। इस घटना के बाद से इलाके में गोलीबारी के वशकार लोगों के इलाज के                  डॉकटर िरुण कुमार को उनकी उपलस्धयों के कारण सरकार तथा दूसरी    के अिसर पर व्रवतयों के बीच िे 200 सवदयों और पूजन सामवग्रयों का वितरण करते
                       करने के बाद 2014 में नंदीपत हॉस्पटल के जररए इनहोंने कामयाबी हावसल की।    वलए नंदीपत अ्पताल लाया जाने लगा और डॉ. कुमार अब तक ऐसे करीब 100 से                      स्थाओं से भी कई सममान वमले हैं। ्थानीय वजलावधकारी, वजले के प्रभारी मंत्ी   हैं। साथ ही पुरुर नसबंदी के 200 ऑपरेशन, हवनताया और हाइड्ोसील के अनवगनत
                                                                                                                                                                                         ं
                       2014 से पहले तक इस इलाके में गोली से घायल हुए लोगों के इलाज के वलए कोई   जयादा लोगों का सफल इलाज कर चुके हैं।                                                    और ्थानीय सांसद ने उनहें कई बार उनकी बेहतर वचवकतसा के कारण सममावनत   ऑपरेशन भी डॉ. कुमार ने वकए हैं। बाढ़ आने के दौरान िे राहत वशविर लगाकर बाढ़
                       सुविधा नहीं थी। घायलों को मुजफफरपुर या पटना का रुख करना पड़ता था। लेवकन                                                                                           भी वकया है। जानकार बताते हैं वक नेपाल में भारतीय दूतािास ने नेपाल सरकार   पीवड़तों के बीच मदद सामवग्रयों का वितरण करते हैं इसके अलािा ्लड डोनेशन,
                       डॉ. कुमार ने इस कमी को अब दूर कर वदया है। डॉ. िरुण ने अब तक गोली लगने   डॉ. िरुण बताते हैं वक उनहोंने एक ऐसे मरीज की भी जान बचाई, वजसके पूरे                     से वसफाररश की है वक डॉ. िरुण कुमार को नेपाल सरकार के हाथों भी सममावनत   डाइवलवसस जैसे कामों को भी डॉ. िरुण समय-समय पर अंजाम देते रहते हैं।
                       से घायल 100 से अवधक लोगों के शरीर से सैकड़ों गोवलयां वनकालकर उनहें वजंदगी   शरीर में 18 गोवलयां लगी थीं। साथ में उसकी एक वकडनी और वलिर भी क्वतग्र्त               वकया जाए साथ ही भारत सरकार को वबहार की सरकार ने भी इस आशय की
                       का िरदान वदया है। सीतामढ़ी में वशक्ा में सुधार को धयान में रखकर डॉ. िरुण ने   था। उसके पूरे शरीर, हाथ एिं पैरों पर गोवलयां मारी गई थीं। डॉ. कुमार कहते हैं वक     वसफाररश भेजी है। वजले के आलावधकारी यह मानते हैं वक डॉ. िरुण कुमार जो   कवठन संघर के बूते खुद अपनी पहचान हावसल करने िाले डॉ. िरुण कुमार को
                                                                                                                                                                                                                                                                  ता
                       शहर के लगमा इलाके में डीपीएस इंटरनेशनल ्ककूल की भी ्थापना की है, वजसमे   एक गांि के मुवखया संजय कुमार को 4 गोवलयां लगी थीं और उसे भी मैंने सजतारी कर             काम कर रहे हैं, िो एक अलग प्रकार की उपल्ध की श्णी में आता है। प्रशासवनक   जुलाई 2019 में आउटलुक पवत्का समूह द्ारा पटना में आयोवजत एक विशाल कायताक्रम
                                                                                                                                                                                                                                े
                       बच्ों के वलए बारहिीं तक की पढ़ाई की समुवचत वयि्था है।            बचा वलया था। इसके अलािा भी ऐसे कई उदाहरण हैं, वजसमे डॉ. िरुण ने लोगों की                         अवधकारीयों का मानना है वक गोली लगने से घायल वयसतियों की जान बचना   में वफलम अवभनेता मनोज िाजपेयी के हाथों सममावनत भी वकया जा चुका है। O
                       102   डॉ. वरुण कुमार                                                                                                                                                                                                                                                        डॉ. वरुण कुमार  103
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