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भारत के जाने माने हड्डी रोग विशेषज्ञ और पटना के कंकड़बाग स्थित अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ़ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहेबिलिटेशन के चिकित्सा निदेशक डॉ.आशीष सिंह, बिहार और देश की चिकित्सा जगत का एक जाना माना नाम है | उत्तर भारत में रोबोटिक विधि से कूल्हे एवं घुटने के प्रत्यारोपण के लिए विख्यात डॉ. सिंह का नाम साल 2021 में लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज़ किया गया इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित अवार्ड्स से भी डॉ. सिंह को कई बार सम्मानित किया जा चुका है | चिकित्सा जगत के जानकार बताते हैं की डॉ. आशीष ने रोबोटिक विधि से एक ही दिन में रिकॉर्ड सात कूल्हों एवं घुटनों का सफल प्रत्यारोपण कर लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज़ करवाया, इससे पूर्व यह रिकॉर्ड गुरुग्राम स्थित मेदांता के एक चिकित्सक के नाम था जिन्होंने एक ही दिन में तीन प्रत्यारोपण किये थे | रोबोटिक तकनीक पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डॉ. आशीष सिंह बताते हैं की यह सर्जन और तकनीक की युगलबंदी है जो विश्वस्तरीय जोड़ प्रत्यारोपण की सुविधा प्रदान करता है | रोबोटिक सर्जरी विश्व की सबसे आधुनिक और उत्तम तकनीक है जिसने व्हील चेयर से वॉकिंग की दुरी को कुछ ही घंटों में तय कर यह दिखा दिया की जो मरीज़ चलने फिरने में असमर्थ हैं साथ ही कूल्हे और घुटने की अर्थराइटिस से परेशान हैं उनकी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने में यह तकनीक सक्षम है |

डॉ.आशीष सिंह आगे बताते हैं की रोबोटिक सर्जरी की इस तकनीक को पटना के अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ़ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहेबिलिटेशन द्धारा पहली बार पूर्वी भारत में लाया गया और इस तकनीक के भारत आने से पूर्ण घुटना एवं कुल्हा प्रत्यारोपण की सफलता का प्रतिशत काफी तेज़ी से बढ़ा है | डॉ. आशीष सिंह कहते हैं की इस पद्धति से सर्जरी का मरीज़ों को सबसे बड़ा फायदा यह है की सर्जरी के दौरान रक्त का स्राव और दर्द न केवल कम होता है बल्कि सत- प्रतिशत सटीकता के साथ हुई सर्जरी के उपरान्त अस्पताल से मरीज़ों को जल्द डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है साथ ही इस विधि द्धारा लगाए गए इम्प्लांट द्धारा लम्बे वक़्त तक मरीज़ों को राहत भी मिलती है | जानकार बताते हैं की पारम्परिक तकनीक से किया गया प्रत्यारोपण जिसकी अनुमानित उम्र 20 – 25 सालों के आसपास होती है वही रोबोटिक तकनीक से सर्जरीके बाद मरीज़ों को आने वाले 30-35 सालों तक के लिए कोई परेशानी नहीं होगी ऐसे में कहा जा सकता है की यह तकनीक कम उम्र के रोगियों के लिए एक वरदान है | भारतीयों में तेज़ी से बढ़ते घुटने के दर्द की समस्याओं पर डॉ. आशीष कहते हैं की दरअसल हमारी बदलती जीवन शैली के कारण एक उम्र के बाद यह समस्या जन्म लेने लगती है | लोगों के खानपान , वजन का अधिक होना , व्ययायाम आदि न करना एवं धुप न लेना इन रोगों के कारणों में है ऐसे में लोगों में जागरूकता बेहद जरुरी है | यदि लोग चाहते हैं की वो घुटनों की समस्याओं से दूर रहे तो इसके लिए जरुरी है की लोग नियमित व्ययायाम करे , विशेषकर पाँव और घुटनों का व्ययायाम जरूर करें साथ ही अपने शरीर को हल्का यानी नियंत्रित रखें |