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बिहार के मुजफ्फरपुर में 2 जुलाई 1975 को श्ी नागेश्वर और कुमुद बमश् के
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घर जनम प्रवीण आनंद में शुरू ्से ही डॉकटर िनने की इच्ा थी। वे एमिीिीए्स
करना िाहते थे। उनके बपता नागेश्वर बमश् बिहार ्सरकार में एगजीकयूबटव
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इंजीबनयर थे और पूरी बजंदगी वे ईमानदारी ्से अपनी ड्टी बनभाते रहे। बमश्
का पररवार िहुत िड़ा था ऐ्से में वेतन ्से बक्सी तरह केवल घर ही िलाया जा
्सकता था। नागेश्वर बमश् एमिीिीए्स की पढ़ाई का खि्ण उठाने में अ्समथ्ण थे।
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लबकन प्रवीण ने हार नहीं मानी और अपने ्सपने को बजंदा रखा। बजला सककूल
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्से मबरिक और आरडीए्स कॉलेज ्से इंटर करने के िाद प्रवीण ने मुजफ्फरपुर
के लंगट ब्संह कॉलेज ्से स्ातक की बडग्ी हाब्सल की और यह तय बकया बक
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यबद वे एमिीिीए्स नहीं कर ्सकते, तो होबमयोपैथी को अपनाएंगे लबकन डॉकटर
तो जरूर िनेंगे। प्रवीण जानते थे बक बपता की आबथ्णक ससथबत ऐ्सी नहीं है बक
वे उनहें होबमयोपैथी भी पढ़ा ्सकें। ऐ्से में प्रवीण ने एजुकेशन लोन के बलए िैंक
का दरवाजा खटखटाया। यह वह दौर था जि िैंक ्से लोन लेना भी आ्सान नहीं
था। लोन के िदले िैंक ने आनंद ्से बक्सी ्संपबति बगरवी रखने को कहा। प्रवीण
के पा्स ऐ्सी कोई ्संपबति नहीं थी। ति िैंक अबिकाररयों की िहुत बमन्नत के िाद
आबखर प्रवीण को ्स्फलता बमली और उनका लोन अप्रव हो गया। इ्सके िाद
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प्रवीण ने होबमयोपैथी में एमडी बकया।
डॉ. प्रवीण आनंद कहते है, इतने ्साल िाद भी मैं अपने लोन की ईएमआई भर रहा
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ह। होबमयोपैथी की बडग्ी हाब्सल करने के िाद प्रवीण ने मुजफ्फरपुर के बमठनपुरा
इलाके ्से अपनी बनजी सलिबनक की शुरुआत की। शुरुआत में मरीज आते नहीं थे।
लेबकन डॉ. आनंद ने होबमयोपैथी में अपने ्संघर की शुरुआत तो कर ही दी थी। खुद
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को काबिल बिबकत्सक िनाने में डॉ. प्रवीण ने बदन-रात कड़ी मेहनत की और ्सिह ्से
रात तक सलिबनक पर वक्त देने लगे। देखते ही देखते उनके ्स्फल इलाज ने मरीजों
का बदल जीता और मुजफ्फरपुर में वे होबमयोपैथी के जररए लोगों की प्संद िन गए।
उनके कु् मरीजों का कहना है बक डॉ. प्रवीण सलिबनक खतम हो जाने के िाद भी
्फोन पर उपलबि रहते हैं। िौिी्स घंटे अपने मरीजों के बलए उपलबि रहने की इ्स बलए कारगर ्साबित होते हैं | शादी के कु् ही ्सालों िाद पुत्र अचयत आनंद और मुजफ्फरपुर के सथानीय लोग िताते हैं बक कोरोना की पहली और दू्सरी लहर
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खूिी ने उनहें शोहरत भी बदलाई। बिबकत्सक के रूप में उनकी ्स्फलता इ्स िात बिबटया आराधया आनंद के जनम ने इ्स पररवार को वो ्सि कु् बदया बज्सकी के िीि डॉ. प्रवीण आनंद ने जो काम बकए हैं उ्से भूलाया नहीं जा ्सकता। ्सैकड़ों
्से ्समझी जा ्सकती है बक उनके बजले के आला अबिकारी और उनके पररवार के कलपना डॉ. प्रवीण ने नहीं की थी। अपनी ्स्फलता का श्य वे अपने माता बपता मरीजों के िीि होबमयोपैथी की प्रब्सद्ध दवा अार्सबनक एलि 30 का िड़े पैमाने पर
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्सदसय डॉ. प्रवीण ्से ही इलाज कराते हैं। द्ारा बदए ्संसकारों को देते हैं। डॉ. आनंद कहते है बक मेरे बपता ईमानदारी के डॉ.आनंद ने न केवल बनशुलक बवतरण बकया िसलक अपनी जान की परवाह न करते
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पक्िर थे और उनका मानना था बक गलत तरीकों ्से कमाए गए प्सों ्से घर के हुए हर पल मरीजों के ्साथ रहे और हर ्संभव ्सहायता की | कोबवड महामारी के
डॉ. आनंद की लोकबप्रयता िढ़ने का एक िड़ा कारण यह भी है बक वे गंभीर ्से ्संसकार बिगड़ जाते हैं। वे उदाहरण भी देते थे बक उनके कई ्साथी अबभयंताओं न े दौरान बकए इनके काम देखकर कई ्सामाबजक ्संगठनों ने इनहें कोरोना वॉररयर के
गंभीर मरीजों के ्स्फल इलाज के बलए जाने जाते हैं। खुद डॉ. प्रवीण िताते हैं बक गलत तरीकों ्से िन अबज्णत बकया था बज्सकी उनहें भारी कीमत भी िुकानी पड़ीं। ्सममान ्से नवाजा। इ्सके अलावा ्साल 2019 में डॉ. प्रवीण की िेहतर बिबकत्सा और
उनके पा्स एक ऐ्से बन्संतान दंपती आए थें, बजनहें शादी के 8 ्सालों िाद भी ्संतान डॉ. आनंद ने बपता की ईमानदारी की उ्स ्सीख को अपनाया और उनहीं के रासत े शूनय ्से बशखर तक का ्स्फर तय करने की इच्ाशसक्त को देखकर आउटलुक
की प्रासति नहीं हुई थी। वे लोग लंिे ्समय तक दू्सरी पैथी में इलाज करा कर थक पर िलकर आज डॉ. आनंद गरीि मरीजों को ्ससती और अच्ी बिबकत्सा उपलबि पबत्रका ्समूह द्ारा पटना में आयोबजत एक काय्णक्रम में ब्फलम अबभनेता मनोज
िुके थे। डॉ. प्रवीण आनंद ने इ्स दंपती का इलाज बकया और मबहला की गोद भर करा रहे हैं। िाजपेयी के हाथों ्सममाबनत बकया गया।
गई। मुजफ्फरपुर के सथानीय लोग िताते हैं बक ऐ्से ्सैकड़ों मरीजों का डॉ. आनंद ने
्स्फल इलाज बकया है। डॉ. आनंद िताते हैं बक, उनहोंने कैं्सर जै्सी घातक िीमारी डॉ. प्रवीण आनंद का एक ्सपना है बक वे खुद अपनी मेहनत के दम पर डॉ. प्रवीण होबमयोपैथी में बगरावट ्से दुखी हैं। इ्सका कारण वे उन झोला ्ाप
का भी होबमयोपैथी के जररए इलाज बकया है। और उनमें ्से कई मरीज इ्स िीमारी होबमयोपैथी का एक िड़ा असपताल शुरू करना िाहते हैं। वे कहते हैं बक दरअ्सल बिबकत्सकों को मानते हैं जो, जानकारी न होते हुए भी रोबगयों का इलाज कर उनकी
्से मुक्त हो िुके हैं। बिहार ही नहीं, पूरे देश में होबमयोपैथी बशक्ा की जो दुद्णशा है उ्से देखकर वे वयबथत जान के ्साथ खेलते हैं | डॉ. आनंद कहते हैं बक होबमयोपैथी का ज्ान िहुत बवसततृत है,
हैं। बिहार में कु् बगने-िुने मेबडकल कॉलेज हैं, बजनमें ्स्सािनों का घोर अभाव बज्से एक-दो बकतािें पढ़कर नहीं ्समझा जा ्सकता।
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िातिीत के क्रम में डॉ. आनंद िताते हैं बक सलिबनक शुरू करने के िाद उनकी है और ्सरकार भी इ्से लेकर उदा्सीन है। ऐ्से में डॉ. प्रवीण की इच्ा आिबनक
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घरेलू बजंदगी में थोड़ी अवयवसथा आ गई थी। लबकन शादी के िाद ्सारी कबमया ं होबमयोपैथी कॉलेज शुरू करने की है जहां, ्ात्र-्ात्राओं के बलए हर ्स्सािन मौजूद डॉ. प्रवीण आनंद ्से इलाज करवा िुके एक मरीज का कहना है बक डॉ. आनंद
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दूर हो गईं। डॉ. आनंद की पतनी ्साक्ी आनंद उनकी ्सच्ी ्साथी हैं जो, ्सुख दुख हो। डॉ. प्रवीण आनंद बप्ले कु् वरषों ्से मुजफ्फरपुर होबमयोपैबथक मेबडकल कॉलेज होबमयोपैथी बिबकत्सा जगत का वो ब्सतारा हैं, बज्सने अपनी िमक बदखानी शुरू की
में हमेशा उनका ्साथ देती हैं और बक्सी भी बवरय पर उनके ्सुझाव डॉ. आनंद के ऐंड हॉससपटल में ितौर एकेडबमक एडवाइजर अपनी ्सेवाएं दे रहे हैं। है। उनहें यकीन है भबवषय में उनकी िमक राजय नहीं िसलक पूरे देश में बदखाई देगी | O
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