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 डॉ. नीतू शसंघल चौधरी देि की उन प्मुख शििु रोग शविेषज्ों में हैं शजनहोंने बच्ों   नीतू ने मैसूर मशडकल कॉलेज के अलावा गुडगांव के शसशवल हॉस्पटल से भी इंटन्नशिप
 की काउंशसशलंग और बेहतर इलाज के दम पर शहंदु्तान की शचशकतसा जगत में   की और 2003 में पो्ट ग्ेजुएट के शलए यूके चली गईं। 2008 तक डॉ.नीतू शसंघल यूके में
 अपनी अलग पहचान बनाई है।  रहीं और इस दौरान रॉयल कॉलेज ऑफ पीशडयाशरिकस ऐंड चाइलड हेलथि एशडनबरा, हल
 रॉयल इनफम्नरी से सज्नरी ऐंड जनरल पीशडयाशरिकस की पढ़ाई करने के अलावा एबरडीन
 1978 में हररयाणा के शभवानी में जनमी डॉ. नीतू शसंघल के शपता श्ीकृषण कुमार   रॉयल इनफम्नरी से शनकु में फैलोशिप भी की।  2008 में डॉ. नीतू शसंघल भारत वापस आ
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 शसंघल हररयाणा के पीडबलूडी में बतौर मुखय अशभयंता (शबसलडग ऐंड रोडस   गईं और इसी साल इनका शववाह शबहार के जाने-माने नेत्र रोग शविेषज् डॉ. नवनीत कुमार
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 कं्रिकिन) में काय्नरत रहे। सरकारी सेवा से शनवृत्त होने के बाद इस समय आशब्नरिेटर   के साथि संपन्न हुआ। 2009 में डॉ. नवनीत और नीतू के घर पुत्र अशभमनय का जनम हुआ
 के रूप में सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जाने-माने टेकसटाइल इंजीशनयर और   जो इस वक्त देहरादून स्थित दून ्ककूल के छात्र हैं।
 डॉ. नीतू शसंघल के बड़े भाई पंकज शसंघल कहते हैं शक नीतू िुरू से ही पढ़ाई में
 काफी अचछी रहीं। ऐसे में पररवार को उनसे काफी उममीदें थिीं। डॉ. नीतू की बड़ी   साल 2011 में डॉ. नीतू शसंघल चौधरी ने जयपुर के फोशटटिस हॉस्पटल में बतौर
 बहन और जानी-मानी शबजनेस वीमेन मुक्ता गोयल पुराने शदनों को याद कर बताती   सीशनयर रेशजडेंट अपना योगदान शदया और करीब 2 साल अपनी सेवाएं देने के बाद
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 हैं शक नीतू की प्ारंशभक शिषिा शदल्ी के तीस हजारी स्थित क्ीन मेरी ्ककूल से हुई   2013 में गुडगांव के आशटशमस हॉस्पटल में सीशनयर रेशजडेंट के रूप ज्ाइन शकया।
 और कुछ ही सालों बाद 1994 में हररयाणा के अंबाला स्थित कॉनवेंट ऑफ जीजस ऐंड   नौकरी में शदल न लगने के कारण अगले ही साल डॉ. नीतू ने अपने पद से तयागपत्र
 मेरी ्ककूल से नीतू ने दसवीं की परीषिा अचछे अंकों से पास कर ्ककूल के शिषिकों के   दे शदया और 2014 में वेदांता चाइलड केयर नाम से अपनी शनजी सलिशनक की िुरुआत
 शदल में अपनी जगह बनाई।   की। डॉ. नीतू चौधरी कहती हैं शक मेरे शलए यह फैसला कर पाना आसान नहीं थिा
 लेशकन मेरे इस फैसले में मुझे डॉ. नवनीत का मुझे पूरा सहयोग शमला और आज मैं
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 पढ़ाई में अववल आने वाली नीतू शसंघल ने 1996 में अंबाला के डीएवी पसबलक ्ककूल   इस मुकाम पर ह |
 से बारहवीं की परीषिा पास की और इसी साल मैसूर मशडकल कॉलेज में इनका नामांकन
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 हुआ। 2002 में नीतू शसंघल ने एमबीबीएस की शडग्ी हाशसल की। 2001 से 2002 के बीच डॉ.   वेदांता शििु शवज्ान केंद्र, पटना की शनदेिक डॉ. नीतू शसंघल चौधरी कहती हैं,














                   “जब यूके से मैं इंटन्नशिप कर रही थिी उसी वक्त चाइलड हेलथि याशन पीशडयाशरिकस   चौधरी कहती हैं शक सवा्नइकल कैंसर की वैकसीन के प्शत लोगों में जागरूकता की भारी
                   के प्शत मेरी रूशच बढ़ी। मुझे लगा यशद आने वाली जनरेिन ्व््थय रहेगी तभी देि   कमी है। केंद्र और राजयों की सरकारों को भी चाशहए इसके प्चार प्सार में तेजी लाए  ं
                   भी ्व््थय रहेगा।” डॉ. चौधरी का मानना है शक इलाज से परहेज बेहतर हैं। वे   ताशक माता-शपता इसके महतव को समझे और बशटयां सुरशषित रहें।
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                   काउंशसशलंग के जररए उन उपायों पर शविेष जोर देती हैं, शजसे अपनाकर बच्ों को
                   दवाओं से दूर रखा जा सकता है। बातचीत के दौरान डॉ. नीतू, बच्ों के माता-शपता   इलाज के दौरान कम से कम एंटीबायोशटकस देने पर जोर देने वाली डॉ. नीत  ू
                   को समझाती हैं शक बच्ों को सायकोलॉशजकल, मोरल और इमोिनल सपोटटि की   बच्ों से कहती हैं, ्व््थय रहोगे तभी, सुपरमैन बनोगे। मां को बच्ों का सबस  े
                   सखत जरुरत होती है। माता-शपता की इसमें अहम भूशमका होती है। डॉ. नीतू बच्ों   अचछा दो्त मानने वाली डॉ. नीतू सभी माताओं से कहना चाहती हैं शक बच्ों तक
                   के प्तयेक 5 साल पर शहयररंग और शवजन टे्ट पर भी जोर देती हैं। साथि ही वे   बीमारी न पहुंचे, इस बात का पूरा धयान रखा जाना चाशहए। गुड़गांव में बच्ों के
                   नयूशरिशियन सपोटटि के महतव को भी बखूबी समझाती हैं। वे कहती हैं शक बच्ों के   कई ्ककूलों में डॉ. नीतू को समय-समय पर ्ककूल प्बंधन द्ारा लेक्चर देने के शलए
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                   सेहतमंद रहने में जूस, फल आशद का शविेष महतव है। लेशकन यशद बच्ों की चाहत   आमशत्रत शकया जाता है ताशक ्ककूल में पढ़ रहे बच्ों को ्व्थि खानपान के प्शत
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                   शपज्ा या बग्नर खाने की हो, तो सप्ताह में एक बार उनहें ये सब शखलाकर उनकी   जागरूक शकया जा सके। जानकार बताते हैं शक इसी साल डॉकटस्न डे पर जी नयज
                   इचछा का सममान शकया जा सकता है।                                   (शबहार-झारखंड) पर प्साररत एक काय्नक्रम में डॉ. नीतू शसंघल चौधरी नजर आईं
                                                                                    और उनहोंने कई महतवपूण्न जानकाररयां दि्नकों के साथि साझा कीं।
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                      डॉ. नीतू शसंघल चौधरी कहती हैं शक बशच्यों के दसवें साल में प्वि करते ही माता-
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                   शपता को सवा्नइकल कैंसर की वैकसीन जरूर लगवा देनी चाशहए ताशक इससे संबशधत   वेदांता शििु शवज्ान केंद्र और वेदांता नेत्र शवज्ान केंद्र के शनदेिक के तौर पर
                   कई बीमाररयों से बशच्यों को सुरशषित रखा जा सके। सवाईकल कैंसर पर आउटलुक   काम कर रहे इस दंपती ने अपनी काशबशलयत और कड़ी मेहनत के दम पर शबहार के
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                   ग्ुप के कंससलटग एसोशसएट एशडटर शदनि आनंद के साथि शविेष बातचीत में डॉ. नीत  ू  शचशकतसा जगत में जो मुकाम हाशसल शकया है, वो काशबले-तारीफ है। O
 54  डॉ. नीतू सिंघल चौधरी                                                                                                  डॉ. नीतू सिंघल चौधरी  55
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