Page 15 - CTB Hi resolution visioneries of bihar pdf
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                           कोलकाता के नेशनल मसडकल कॉलेज से साल 2005 में एम्बी्बीएस की सडग्री
                                                                         यू
                                                     ं
                       हाससल करने वाली डॉ. अर्चना ससंह ने रारी के प्रससद्ध सेंरिल इिंसस्टट््ट ऑफ
                       साइकेरिी से डीपीएम करने के उपरानत एमडी का कोस्च सक्ा और वत्चमान में
                       आसश्ाना दीघा रोड ससथत अपने सदव्ांश न्यूरो एवं साइक्ेरिी सें्टर में मरीजों
                       को अपनी सेवाएं दे रही हैं। डॉक्टर ससंह स्बहार इिंसस्टट््ट ऑफ में्टल हेलथ ऐंड
                                                               यू
                       ऐला्ड साइिंस, कोईलवर, िोजपुर में ्बतौर कनसल्टें्ट अपनी सेवाएं िी दे रहीं
                       हैं। मनोरोग पर पयू्े गए एक सवाल के जवा्ब में डॉ. अर्चना ससंह कहती हैं सक
                       मनोरोग सवज्ञान सरसकतसा की वह शाखा है सजसमें रोगी की सोर, िावना, सवरारों
                       और व्वहार का आकलन कर उसका उसरत उपरार दवाओं के माध्म से सक्ा
                       जाता है। ्ह शाखा मनोरोसग्ों के आकलन, पहरान, उपरार और प्र्बंधन स  े
                       जुडी है और मनोसरसकतसा के सवशेषज्ञों को ही मनोरोग सरसकतसक कहा जाता है।                                                                                            सव्ंसेवी संसथा के साथ जडकर सम्-सम् पर मसडकल कैंप के द्ारा उपरार,   अर्चना ससंह कहती हैं सक ्बच्चों और मसहलाओं के मानससक सवास्थ् पर उनका सवशेष
                                                                                                                                                                                                                            े
                                                                                                                                                                                                           ु
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                       मनोसवज्ञान मानव मन-मससतषक और व्वहार का वज्ञासनक अध््न है सजसके तहत                                                                                               आपदा और संक्ट की ससथसत में जरूरतमंद लोगों की मदद इत्ासद का्यों में िी   जोर रहता है। हर उम्र के साथ मसहलाओं की सजंदगी में कई प्रकार के ्बदलाव होते हैं।
                                                                ु
                       सरि्ातमकता में तबदील होने वाले सवरारों, िावनाओं, अनियूसत्ों के सिी पहलुओं                                                                                        अग्रणी रहती हैं। इनहोंने सदव्ांश फाउिंडेशन के ्बैनर के अंतग्चत कोसवड से प्रिासवत   उदाहरण के तौर पर, गिा्चवसथा और प्रसव के दौरान और प्रसव के ्बाद मसहलाओं में
                                                                          े
                       का सवसिन्न आकलनों और परीक्णों के जरर्े वज्ञासनक तरीके से सवश्षण और                                                                                               लोगों की हर सिव मदद करने की सराहनी् कोसशश की है।                कई प्रकार के शारीररक एवं मानससक पररवत्चन होते हैं। इस दौरान कु् पररससतसथ्ा  ं
                                                         ै
                                                                                                                                                                                                   ं
                       इलाज सक्ा जाता है।                                                                                                                                                                                                               ऐसी िी ्बनती हैं, सजससे उनके मानससक सवास्थ् पर प्रसतकल प्रिाव पडता है और
                                                                                                                                                                                                                                                                                                कू
                                                                                                                                                                                          डॉ. अर्चना ससंह के ्बडे िाई अलोक रिंजन और ्ो्टे िाई असिषेक रिंजन ससंह   इस प्रकार के हालात को नजर अंदाज नहीं करना रासहए। ऐसे मरीजों से खुलकर ्बात
                          डॉ. अर्चना ससंह के पसत और ससंगापुर की प्रससद्ध TEEKAY सशसपंग में रीफ                                                                                          कहते हैं सक हम हमारे माता-सपता की सोर को हम सलाम करते हैं सजनहोंने सशक्ा   करना रासहए तासक वति पर इलाज हो सके।
                                                                          यू
                       इिंजीनी्र नीरज कुमार कहते हैं सक शादी के ्बाद से ही मैंने ्ह महसस सक्ा                                                                                           के महतव को समझते हुए हम सिी को उच्चतम सशक्ा दी सजनकी ्बदौलत आज
                       की डॉ. अर्चना अपने प्रोफेशन के जररए समाज की न केवल सेवा करना राहती हैं                                                                                           डॉ. अर्चना ने अपना नाम और मुकाम हाससल कर अपनी अलग पहरान ्बनाई है।   डॉ. अर्चना ससंह मानससक रोगों को संकीण्चता के दा्रे से ्बाहर लाना राहती
                       ्बसलक समाज सेवा के दसरे रासतों पर रलकर िी वे समाज के जरूरतमंद लोगों                                                                                              हमारे परे खानदान में वे अकेली डॉक्टर हैं। हम सिी लोग खुद को गौरासनवत   हैं। वे राहती हैं सक मानससक रोसग्ों को असिशप्त जीवन से मसति समले। मानससक
                                        यू
                                                                                                                                                                                                                                                                                                    ु
                                                                                                                                                                                             यू
                       तक पहुिंरना राहती हैं। शादी के उपरानत उनहें अपने सास और ससुर का असीम                                                                                             महसस करते हैं।                                                  रोग को असिशाप मानने वाले समाज में वे इन रोसग्ों को उसरत सममान के साथ
                                                                                                                                                                                           यू
                       स्ह और सह्ोग प्राप्त हुआ। वे मानती हैं सक उनकी सफलता में उनके पररवार                                                                                                                                                             जीवन व्तीत करने में मदद करना राहती हैं। उनकी कोसशश है सक मानससक
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                       का ्बहुत ्ोगदान है। डॉ. अर्चना के ससुर और स्बहार सवधान सिा के अवकाश                                                                                                9 साल के सदव्ाश ्बालासदत् ससंह और 4 वषषी् आसद्क ्बालासदत् ससंह की मां डॉ.   रोसग्ों को सवतत् और सममासनत जीवन जीने के समसत अवसर प्राप्त हों। O
                                                                                                                                                                                                                                                                   ं
                                                                                                                                                                                                     ं
                                 े
                       प्राप्त सडप्टी सरिे्टरी सुरेंद्र प्रसाद ससंह कहते हैं सक डॉ. अर्चना ्ुगांतर नामक एक
                       14    डॉ. अर्चना सिंह                                                                                                                                                                                                                                                       डॉ. अर्चना सिंह  15
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